बुधवार, 23 मई 2007

बदलते भारत की एक भयावह तस्वीर

वित्तमंत्री से लेकर रेलमंत्री,अमेरिका से लेकर पूरी दुनियां भारत की उन्नति के बडे-बडे झूठे दावे करते हुये अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं,लेकिन् यह सच नहीं कि हम जिस दौर से गुजर रहे हैं शायद अब समय आ गया है कि हमें अपनी सरकार के समक्ष उनकी विफ़लताओं का आईना दिखाना होगा।बढ्ती बेरोजगारी,अव्यवस्था,पिछ्डापन,छोटे शहरों की अनदेखी, न्याय में अपारदर्शिता,चारों...

मंगलवार, 22 मई 2007

अब तबाही दूर नहीं !

कल्पना करें कि अगर एक लाख युध्द सैनिक युध्द के मैदान में हों कि अचानक् तेज गति से बारिश हो जाये यां बिजली कडकने लगे, और फ़िर कुछ देर में एक ऐसे तूफ़ान का सामना करना पडे जिसकी रफ़्तार इतनी तेज हो कि सब कुछ् तबाह हो जाये यां फ़िर एकाएक मौसम सर्द हो जाये तो फ़िर ये सैनिक इन अविश्वस्नीय बदलावों के बीच अपनी जान बचाने के बाद क्या युध्द के लिये जीवित रह पायेंगे? नहीं ! लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसा सम्भव...

रविवार, 20 मई 2007

शबनम मौसी

"हमारे नेता इस देश की राजनीति को हिजङा बनाने में कोई कसर नहीं छोङ् रहे हैं तो क्या आप किसी हिजङे को अपना नेता नहीं चुन सकते? "पिछले दिनों जब इस छोटे लेकिन विलक्षण "बुध्दु बक्से" यानी टेलीविजन पर एक कार्यक्रम् देखा तो मेरा मन द्रवित हो उठा. एक ऐसे व्यक्तित्व् के जीवन के दर्द को समझने का एहसास ही काफ़ी नहीं! हमें उसे स्वीकार भी करना होगा.क्योंकि...