गुरुवार, 31 जनवरी 2008

दीप्ति जी क्या केवल किसी महिला से उसके विचार पूछने से ही आप शान्त हो जायेंगी?

दीप्ति जी क्या केवल किसी महिला से उसके विचार पूछने से ही आप शान्त हो जायेंगी? क्या ये चापलूसी नहीं है? क्यों आप खुद को इतना असहज महसूस कर रहीं हैं क्या राजधानी दिल्ली के बाहर कोई और आपका देश नहीं है? मैने देखा है....... मैने देखा है अभी पिछले महीने आगरा से भोपाल जाते वक्त एक महिला किसी खास स्टेशन से चढती है और आगे जाकर पन्द्रह-बीस मिनट के बाद किसी छोटे से गाँव सरीखे स्टेशन पर चैन स्नैचिंग...

सोमवार, 28 जनवरी 2008

मेरे ब्लॉगर मित्रों की पोस्ट और शायद उसका अनुचित कारण ये भी हो सकता है.....

जनवरी के पहले ही दिन से काफ़ी सार्थक बहस,चिंतन,चर्चाएं और विवादास्पद लेखों ने जन्म लिया जो केवल नारी-लड़कियों और समाज में बढते खुलेपन और शर्मनाक परिस्थियों के ऊपर केंद्रित हैं......पहले-पहल भड़ास ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर हुयी घटना पर चिंतन और आक्रोश व्यक्त किया जो जायज है, भड़ास का ये रूप भी काफ़ी प्रशंसनीय है,उसके लेख जो क्रमवार प्रकाशित हुये वो ये हैं.......लड़कियों यदि तुम घर से बाहर निकली...

शनिवार, 5 जनवरी 2008

राजधानी में बिहारी

द्रश्य एक: सुबह के 8 बजे के लगभग का समय! पटना से चलकर आने वाली सम्पर्क क्रान्ति एक्सप्रैस में बिहार से आये गरीब तबके के लोग गाड़ी में अपने खड़े होने के स्थान पर गहरी सांसे लेकर दिल्ली के आने का बेसबरी से इंतजार कर रहे हैं......कुछ लोग बिहार से अपने लोगों से मिलने आये हैं और कुछ काम के सिलसिले में, क्योंकि इनके अपने बिहार में इनके लिये काम नहीं है ये लोग वहाँ रहकर कमा-खा भी नहीं सकते क्योंकि...