पहला सीन - एक तंग गली में कुछ बच्चे जो मैले कुचैले फ़टेहाल कपड़ों में कचरा बीन रहे हैं,कुछ सुअर साथ दे रहे हैं और कुछ कुत्ते उनकी पहचान को सार्थक बना रहे हैं.इस गली के आखिरी छोर पर एक लड़की भीख मांगने का नाटक करते हुये अपने जिस्म के खरीददार को खोज रही है तो सामने से ही उसका नशेड़ी बाप उसे गालियाँ देते-देते नाली की कीचड़ में सरोबार होकर उसी में लोटपोट हैदूसरा सीन- मोहल्ले में आज दो औरतें रोज की...
बुधवार, 28 जनवरी 2009
सदस्यता लें
संदेश (Atom)