पहला सीन - एक तंग गली में कुछ बच्चे जो मैले कुचैले फ़टेहाल कपड़ों में कचरा बीन रहे हैं,कुछ सुअर साथ दे रहे हैं और कुछ कुत्ते उनकी पहचान को सार्थक बना रहे हैं.
इस गली के आखिरी छोर पर एक लड़की भीख मांगने का नाटक करते हुये अपने जिस्म के खरीददार को खोज रही है तो सामने से ही उसका नशेड़ी बाप उसे गालियाँ देते-देते नाली की कीचड़ में सरोबार होकर उसी में लोटपोट है
दूसरा सीन- मोहल्ले में आज दो औरतें रोज की तरह एक दूसरे को गालियां दे रही हैं, तो वहीं कुछ बच्चे कंचे और गिल्ली डंडे में व्यस्त हैं, अल्हड़ लड़कियाँ जानबूझकर छत पर बाल सुखाने को चली आयी हैं और उन्ही को देखने मोहल्ले के "नामी" नौजवान अपनी बाइक और किसी न किसी बहाने से इन घरों में तांक-झांक कर रहे
तीसरा सीन- शहर की पॉश कॉलोनी में आज सुबह से ही हलचल है....
कुछ पढे-लोखे बुजुर्गों ने सांस्क्रतिक कार्यक्रम आयोजित किये हैं जिसमें क्षेत्र के ही किसी छुटभैये नेता(गुंडे) को बतौर चीफ़ गैस्ट बुलाया गया है...
बच्चे जो अपनी-अपनी मम्मियों के साथ आये हैं और मन मारकर ह्रितिक-रोशन और राखी सावंत के आइटम नम्बरों पर पैर पटक-पटक कर स्टेज को तोड़े जा रहे हें
इन सबके बीच लड़कियां अपने-अपने मोबाइल फ़ोन्स पर अपने-अपने ब्वाय-फ़्रेंडस के साथ बातों में मशगूल हैं, किसी का मॉल तो किसी का पिक्चर देखने का प्रोग्राम फ़िट हो चला है
अब बारी सोसाइटी की ये सीन बिल्कुल ही डिफ़रेंट हैं इस लिये इसे कोई क्रम नहीं दे सकता-- तो सीन इस प्रकार है कि आज सोसाइटी की महिलाओं की किटी पार्टी है जिसमें आज फ़लां श्रीमती ने आयोजित किया है, कारण चाहे जो कोई भी हो आज गणतंत्र दिवस और अपने सारे पड़ोसियों को अपनी नयी ज्वैलरी और नया फ़र्नीचर जो दिखान है....
हाँ शाम को एक अनाथालय में जाकर कुछ फ़टे कपड़े दान देते हुये अपनी महिला संगठन का अखबार में महिमा-मंडन सहित चित्र छपवाना है
क्या कहा बच्चे और लड़कियां?
बच्चे तो अपने-अपने स्कूल में गये हैं मजबूरीवश लेकिन लड़कियों के लिये सोसाइटी के बाहर काले रंग के शीशे ऊपर किये हुये चमचमाती कारें इंतजार कर रही हैं,
इन सबके बीच शहर के बाहर बनी टाउनशिप में एकांत का वातावरण है इन सबमें गली-मोहल्ले-कॉलोनी-सोसाइटी से पटायी,बहलायी,फ़ुसलायी,मजबूरी मे बुलायी गयी लड़कियां अपने-अपने जोड़ीदारों के साथ गणतंत्र-दिवस को इंज्वाय कर रहे हैं,और इनके जोड़ीदार वो पति-लड़्के हैं जो अपने-अपने गली-मोहल्ले-कॉलोनी और सोसाइटियों से अपने घरवालों-पत्नियों से दूर हैं
इस गली के आखिरी छोर पर एक लड़की भीख मांगने का नाटक करते हुये अपने जिस्म के खरीददार को खोज रही है तो सामने से ही उसका नशेड़ी बाप उसे गालियाँ देते-देते नाली की कीचड़ में सरोबार होकर उसी में लोटपोट है
दूसरा सीन- मोहल्ले में आज दो औरतें रोज की तरह एक दूसरे को गालियां दे रही हैं, तो वहीं कुछ बच्चे कंचे और गिल्ली डंडे में व्यस्त हैं, अल्हड़ लड़कियाँ जानबूझकर छत पर बाल सुखाने को चली आयी हैं और उन्ही को देखने मोहल्ले के "नामी" नौजवान अपनी बाइक और किसी न किसी बहाने से इन घरों में तांक-झांक कर रहे
तीसरा सीन- शहर की पॉश कॉलोनी में आज सुबह से ही हलचल है....
कुछ पढे-लोखे बुजुर्गों ने सांस्क्रतिक कार्यक्रम आयोजित किये हैं जिसमें क्षेत्र के ही किसी छुटभैये नेता(गुंडे) को बतौर चीफ़ गैस्ट बुलाया गया है...
बच्चे जो अपनी-अपनी मम्मियों के साथ आये हैं और मन मारकर ह्रितिक-रोशन और राखी सावंत के आइटम नम्बरों पर पैर पटक-पटक कर स्टेज को तोड़े जा रहे हें
इन सबके बीच लड़कियां अपने-अपने मोबाइल फ़ोन्स पर अपने-अपने ब्वाय-फ़्रेंडस के साथ बातों में मशगूल हैं, किसी का मॉल तो किसी का पिक्चर देखने का प्रोग्राम फ़िट हो चला है
अब बारी सोसाइटी की ये सीन बिल्कुल ही डिफ़रेंट हैं इस लिये इसे कोई क्रम नहीं दे सकता-- तो सीन इस प्रकार है कि आज सोसाइटी की महिलाओं की किटी पार्टी है जिसमें आज फ़लां श्रीमती ने आयोजित किया है, कारण चाहे जो कोई भी हो आज गणतंत्र दिवस और अपने सारे पड़ोसियों को अपनी नयी ज्वैलरी और नया फ़र्नीचर जो दिखान है....
हाँ शाम को एक अनाथालय में जाकर कुछ फ़टे कपड़े दान देते हुये अपनी महिला संगठन का अखबार में महिमा-मंडन सहित चित्र छपवाना है
क्या कहा बच्चे और लड़कियां?
बच्चे तो अपने-अपने स्कूल में गये हैं मजबूरीवश लेकिन लड़कियों के लिये सोसाइटी के बाहर काले रंग के शीशे ऊपर किये हुये चमचमाती कारें इंतजार कर रही हैं,
इन सबके बीच शहर के बाहर बनी टाउनशिप में एकांत का वातावरण है इन सबमें गली-मोहल्ले-कॉलोनी-सोसाइटी से पटायी,बहलायी,फ़ुसलायी,मजबूरी मे बुलायी गयी लड़कियां अपने-अपने जोड़ीदारों के साथ गणतंत्र-दिवस को इंज्वाय कर रहे हैं,और इनके जोड़ीदार वो पति-लड़्के हैं जो अपने-अपने गली-मोहल्ले-कॉलोनी और सोसाइटियों से अपने घरवालों-पत्नियों से दूर हैं