शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009
परवेज मुशर्रफ़ के बोये बीज ने अब बबूल के रूप में पाकिस्तान की मौत का सामान तैयार कर लिया है
आज जिस पाकिस्तान पर अमेरिका समेत समस्त विश्व अपनी भौहें तिरछी कर रहा है, उसी पाकिस्तान के जनरल रहे परवेज मुशर्रफ़ ने किस तरह अपने मुल्क में आतंक और पश्चिमी देशों से मित्रता (अमेरिका) का ढोंग किया ! उसके इसी कदम से उसी के मददगार रहे अफ़गानिस्तान और मुस्लिम देश खासे खफ़ा हो चले थे.
एक तरफ़ मुशर्रफ़ देश में अमन-चैन और खुशहाली का नकली आवरण पहने विश्व को बेवकूफ़ बनाने का नाटक खेल रहे थे तो दूसरी तरफ़ गरीब,बेबस और लाचार जनता मुशर्रफ़ के तानाशाह रवैये से तंग आ चुकी थी, इसका परिणाम यह हुआ कि अफ़गानिस्तान के तालिबान अफ़सरो और पाकिस्तान के शरणागत आतंक के आकाओं ने पाकिस्तान को ही ठिकाने लगाने का मन बना लिया है
पहले बेनजीर की हत्या ,फ़िर मुशर्रफ़ की ताजपोशी छिन जाना इसी गुस्से का सबूत है जो मुशर्रफ़ ने अपने तानाशाही रवैये के कारण देश की अवाम में पैदा किया
मुखमरी,कर्ज और आतंकी शरणस्थलों को बढावा देने का काम जिस गति से परवेज मुशर्रफ़ ने किया उसी गति से आज पाकिस्तान दिन ब दिन अपने आपको गर्त में डूबा पा रहा है. आज लगभग पूरे पाकिस्तान में आत्मघाती हमलावर,आतंकी शिविर ,अशिक्षा, औरतों व लड़कियों पर जुल्म आम बात है जो एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है जिसे रोक पाना इस समय मौजूदा प्रधानमंत्री के बस का रोग नहीं रहा.
मुम्बई पर हमला करके अगर् पाकिस्ता ने ये सोचा है कि उसे उसके पुराने मददगारों (अफ़गानिस्तान एवं मुस्लिम देशों) का समर्थन मिलेगा तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है क्योंकि विश्व भर में मुस्लिम समुदाय पहले ही अपने खोये हुये वजूद को फ़िर से पाने के लिये संघर्षरत है तो दूसरी तरह ये देश ये भी जानते है कि भारत अब एक बहुत बड़ी ताकत बन चुका है और संपूर्ण विश्व भी इस ताकत के साथ कंधे से कंधा मिलाककर खड़ा है.
अतः अब अलग-थलग पड़े पाकिस्तान को अपने ही गिरेबां में झांककर देखना होगा कि जिस तानाशाही और दमनकारी नीतियों से उसने अपना सिर ऊँचा किया है वही नीतियां तलवार बनकर उसी सिर पर मंडरा रहीं हैं.
1 Response to "परवेज मुशर्रफ़ के बोये बीज ने अब बबूल के रूप में पाकिस्तान की मौत का सामान तैयार कर लिया है"
कमलेश जी, आपके मुँह में घी-शक्कर ! भारत तब तक चैन से आगे नहीं बढ़ सकता जब तक पाकिस्तान सलामत रहेगा। खुदा करे कि पाकिस्तान उसी गड्ढे में गिर मरे जिसे उसने भारत के लिये खोदा था।
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