रविवार, 15 मार्च 2009

पहली बार लगा कि मैं भारतीय हूँ

Posted on 10:36:00 am by kamlesh madaan

जी हाँ इस वर्तमान में मुझे इसका सुखद एहसास हो ही गया कि मैं एक भारतीय हूँ,लेकिन एक बहुत ही अजीब तरीके से...


कैसे? आइये जानें!

हुआ ये कि मैं अपने मित्र के साथ एक मल्टीप्लेक्स सिनेमाघर में एक हॉलीवुड यानी अंग्रेजी भाषा की फ़िल्म देखने गया.

बस हम फ़िल्म के पंद्रह मिनट पहले पहुँच गये जो कि मेरे लिये शायद पहली बार गर्व का विषय था, हुआ यूँ कि फ़िल्म के पर्दे पर आने से पहले " जन-गन-मन" का राष्ट्रीय गीत का प्रसारण शुरू हो गया और पल भर में ही सभी उपस्थित जन सावधान मुद्रा में तुरंत खड़े हो गये जो अपने आप में आश्चर्यजनक था.

फ़िल्म का वीडियो सियाचीन वाला था जो कभी पंगेबाज जी ने भी अपने ब्लॉग पर पोस्ट भी किया था, लेकिन पहली बार लगा कि हाँ ये देशभक्ति कि अविरल धारा भले ही मंद-मंद गति से चल रही है पर ये हम सब भारतीयों के मन को कहीं न कहीं भिगो देती है.

मेरा मानना है कि ऐसे प्रयोग जिसके लिये मैं विदेशी मल्टीप्लैक्स वालों को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होने कुछ पल ही सही लेकिन हमारी भारतीयता का एहसास हमें लौटा दिया.

ऐसे प्रयोग बार-बार होवें ऐसी मेरी कामना है क्योंकि भारतीय होने का एहसास हमारे जीने से ज्यादा है.

मैने नीचे उस वीडियो का यू-ट्यूब विडियो दिया है अगर आप इस वीडियो को प्ले करें तो क्रपया सावधान की मुद्रा में खड़े होकर देखें,क्योंकि राष्ट्रगान का सम्मान हमारे देश का सम्मान है.

जय हिंद!


7 Response to "पहली बार लगा कि मैं भारतीय हूँ"

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Vishwa Arya Says....

hum abhee 9 march 2009 ko hee apne bete ke mahavidyalaya, mangalore mein puraskaar vitran samaroh me gaye the. Wahan par bhee samaroh mein Rashtriyageet Jan Gan Man chala aur sabhee ne samman mein khare ho kar abheevadan kiya

vishwa bhushan arya

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संगीता पुरी Says....

विदेशी मल्टीप्लैक्स वालों का यह काम वाकई सराहनीय है।

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Malaya Says....

चलो भाई, अपने को हीनता ग्रन्थि से बाहर निकाल लाये हैं तो आपको बधाई देता हूँ। यह ग्रन्थि हमने खुद बनायी है। इससे बाहर निकलने का रास्ता भी कॊई बाहर से आकर नहीं बताएगा।

अच्छा यह बताइए, इतना मनभावन टेम्प्लेट कहाँ पा गये। एक लिंक भेजिए न। मुझे टीपना है।

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not needed Says....

बहुत अच्छा. विडियो देख कर नत मस्तक हो गया.

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नीरज गोस्वामी Says....

शब्द नहीं हैं भावनाएं व्यक्त करने को...भारतीय होने पर गर्व है हमें...
आप का धन्यवाद इसे प्रस्तुत करने पर...जन गण मन जो अलग अलग विधा से जुड़े संगीतकारों ने मिल कर गाया है और जो लता जी और आशा जी ने गाया है, भी अद्वितीय है...
नीरज

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not needed Says....

कमलेश जी:

आपके ब्लॉग में " अबाउट" में आपका परिचय न देख कर थोडा अखर रहा है. ऐसा लगता है आप लो प्रोफाइल मैनतैन करते है, तथापि कुछ तो लिखेयगा.

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not needed Says....

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