घर जब लौटता हूँ तो मुझे वो वक्त मिलता है जिस समय लोग उठने की तैयारी कर रहे होते हैं यां मीठे सपनों में खोये रहते हुये इन सर्द रातों में खुद् को गर्म लिहाफ़ में जकड़े रहते हैं, अक्सर ही मुझे रात के गहरे सन्नाटे में ना जाने क्या कुछ अलग महसूस होता है जो किसी दिन के उजाले में नहीं मिलता मसलन् जैसे किसी चाय वाले के पास इकट्ठा भीड़ एक छोटी सी टी.वी. के सहारे अपनी बाकी रात गुजार रही होती है,वहीं...
शनिवार, 29 दिसंबर 2007
बुधवार, 26 दिसंबर 2007
कहिये हम किस गली जा रहे हैं ?
अपने वजूद को तलाशती युवा पीढी आज न जाने किस रास्ते को अख्तियार कर ले इस बात का कोई भरोसा नहीं है क्योंकि पैसे की चाह और जल्दी ऊँचा उठने का ख्वाब उन्हे इस मोड़ पर भी ले जाता जहाँ उन्हें सिर्फ़ अराजकता और कुंठा के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होता.इसका ताजा उदाहरण पाकिस्तान भी है तो अमेरिका भी!भारत भी कम अछूता नहीं है और बाकी सारी दुनियां में भी रोष बढता ही जा रहा है।बेनजीर की हत्या फ़िदायन और आत्मघाती...
Posted on 2:17:00 pm
बुधवार, 19 दिसंबर 2007
गरीबी सिर्फ़ अमीरों के लिये है!
अखबारों,समाचार चैनलों,ब्लॉग्स आदि में गरीबी का दुखड़ा रोकर मगरमच्छी आंसूं बहाने वाले ये लोग क्या किसी मायने में गरीब कहलाने के लायक हैं?,किस गरीब ने कोई ब्लॉग देखा है? और अगर देखा भी है तो उसे क्या मिला, किस जरूरतमंद को ये न्यूज चैनल वाले रोटियां बाँट रहे हैं और तो और ये लोग इस पर लिखकर वाह-वाही भी लूट रहें हैं.क्यों कोई बिहार के लिये आगे नहीं आता, क्यों किसी को उड़ीसा नजर नहीं आ रहा, क्यों...
Posted on 1:50:00 pm
शुक्रवार, 14 दिसंबर 2007
तस्वीरें जो बोलती हैं-भाग 2

मेरी एक पोस्ट तस्वीरें जो बोलती हैं के लिये मुझे काफ़ी प्रोत्साहन मिला जिसके फ़लस्वरूप मैने आज इसका दूसरा भाग पोस्ट करने के लिये फ़िर से देश के जाने-माने छायाचित्रकारों (फ़ोटोग्राफ़रों) के चित्रों की मदद ली है, जैसा कि मैने पहले भी कहा था कि प्रत्येक चित्र के लिये एक ब्लॉग लिख सकता था लेकिन फ़िर आज यही कहूंगा कि इससे इन चित्रों की आत्मां ही मर...
Posted on 11:59:00 pm
आँखें
इन आँखों ने क्या-क्या नहीं देखा. बस नहीं देखा तो एक पल भर की खुशी,इन आँखों ने क्या-क्या नहीं खोया,बस नहीं खोया तो इसमें बहने वाले आँसू, इन आँखों को दोष देने से पहले ये जमाना सारे गुनाह छुपा लेता है, इन आँखों के लिये वो अपनों को भी पराया कर देता है फ़िर भी उसे इन आँखों से कुछ हासिल नहीं होता।इन आँखों ने गुजरात जलते देखा,अयोध्या लुटते देखा,हिन्दू-मुसलमान,सिख-ईसाइयों को अपनों के हाथों कटते-जलते...
Posted on 10:59:00 pm
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