बुधवार, 11 फ़रवरी 2009
लो अब "रवीश भाई" भी तालिबान-तालिबान गाने लगे!
Posted on 6:44:00 pm by kamlesh madaan
कल तक एन.डी.टी.वी. के प्राइम टाइम के सुपरहीरो बनकर आये रवीश भाई जिस इंडिया टी.वी. के तालिबान के ऊबाउ कार्यक्रमों की खिल्लियां उड़ाकर यह कहते फ़िर रहे थे कि ये कार्यक्रम आपकी रातों की नींद खराब कर सकते हैं जो केवल यू-ट्यूब पर पोस्ट किये नकली आतंवादी ड्रामों से भरी पड़ी है.
दर-असल में इंडिया टी.वी. के बढते ग्राफ़ और टी.आर.पी. रेटिंग ने सभी चैनलों की नींद हराम कर रखी है जिसके बचाव में कई झुलस गये हैं यां कई हाथ सेंक रहे हैं. उसी आग की तपिश से झुंझलाये बेचारे " रवीश भाई" प्राइम टाइम पर सबको यही सलाह देते फ़िर रहे थे कि आप्को तालिबान के नाम पर बेवकूफ़ बनाया जा रहा है और आप ऐसे कार्यक्रम न हीं देखें जिससे आपका मन विचलित हो सकता है.
लेकिन भला हो देश की जनता का जिन्हें रात को अपने खाने के साथ ऐसे मसालों का तड़का खाने की आदत है, अतः रवीश भाई समझ गये कि अब उनकी दुकान नहीं चलने वाले तो उन्होने पिछले दो तीन दिनों से वही यू-ट्यूब के वीडियो दिखाना शुरू कर दिया जिनके लिये उन्होने कहा था के ये नकली और भ्रमित वीडियो हैं.
शायद रवीश भाई को समझ आ गया है जैसा देश वैसा भेष वाली रणनीति और समय के अनुसार ट्रेंड सैटर नहीं बने तो हो सकता है कि फ़िर से उन्हे प्रिंट मीडिया में वापसी करनी पड़े क्योंकि यहा वही सब करना पडता है जो जनता चाहती है न कि एडीटर यां न्यूज-रीडर
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6 Response to "लो अब "रवीश भाई" भी तालिबान-तालिबान गाने लगे!"
रवीश नौकरी करते है एन डी टी वी की , अब जो मालिक लोग कहेगे वही सत्य होता है जी . मदान जी आप भि इस सत्य को समझ लीजीये जी . वैसे रवीश महोदय बहुत व्यस्त आदमी है इन्हे तीन साल गुजर गये हमारे बीस सवालो के जवाब ढूढने मे . अगर वही ढूढ कर चैनल पर बता देते तो टी आर पी रिकार्ड तोड गई होती :)
If you can't beat them, join them.
हिन्दुओं को गालियां बकने से न सिर्फ दर्शक भाग रहे थे, एडवर्टाइजरों ने भी किनारा कर लिया था. हालात ये थे कि छह महीने बाद एनडीटीवी के साथ साथ खुद भी सड़क पर आ जाते फिर एसी हालत में क्या करते?
पापी पेट का सवाल है भाई..
jai ho midia ki...
हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड दिया ।
रव्व्श जी जिस तरह से बाकी चैनलों को गरिया रहे थे ऎसा मालूम होता था ,मानों जल्दी ही खबरिया चैनलों का नया रुप देखने मिलेगा । नए प्रतिमान बनाये जाएंगे । लेकिन यहां तो हुआ उल्टा । दूसरों को कोस कर मजमा अपनी तरफ़ समेट लिया ौर अब खुद भी चल पडे उसी ढर्रे पर ।
क्या खायेगा तालिबान,
कब आयेगा तालिबान
अब छायेगा तालिबान
एन्डिटीवी बचायेगा तालिबान
हिट गाना तो सब गाते ही है . लेकिन ये तालिवानी गाना किसी दुसरे राग में गा रहे होंगे ,अलग हट के .
भूत-प्रेत जादू टोना की भी उम्मीद यहाँ से भी है ?
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