बुधवार, 5 नवंबर 2008
मेरा देश प्यासा है और आप गंगाजल को बचाने में लगे हुये हैं
ये सवाल मैं नहीं आज लगभग देश का हर नागरिक सोच रहा है क्या वाकई में गंगा को बचाने के लिये देश के प्रधानमंत्री इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे ? अगर जवाब हाँ है तो उनके कार्यकाल के बाद क्या अगले प्रधानमंत्री को ये सब कार्य करने की सुध रहेगी ? क्या राज्यों के मुख्य मंत्री गंगा बचाने की मुहिम में अपने लिये गंगा का अधिकांश जल मांग उठे तो...?
और तो और गंगा नदी तो एक अविरल धारा है लेकिन लुप्त होती नदियों के बारे में क्या होगा ? क्या दिल्ली में मेट्रो रेल के अध्यक्ष श्रीधरन जी यमुना को नाला बनाकर छोड़ देंगें ? क्या ब्रहमपुत्र नदी के अस्तित्व को चीन जैसे देशों से खतरा है?
ये तो कुछ सवाल हैं जो मेरे जेहन में हैं लेकिन क्या देश की इन नदियों के बारे में हमारे देश के प्रधानमंत्री जी को भी चिंता है जो इस लिस्ट में दी हुयी है ?
अरे अभी जाइये मत! आगे भी सुनिये... क्या आपके आसपास बढते वैश्वीकरण से आपको क्या नुकसान हो रहा है तो देख लीजिये कहीं आपके आस-पास किसी बिल्डर नें किसी तालाब यां पोखर को मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में तो नहीं बदल दिया ? यां आपके शहर की नदियों से बालू उत्खनन तो नहीं हो रहा है ? जवाब यदि हाँ है तो आपका शहर और नदी दोनों खतरे में है.
पहले वाटर लेवल 70-80 फ़ुट था अब 250-300 फ़ुट हो गया है ? सरकारी नल के पीने के पानी में बदबू आ रही है नि:सन्देह वो पानी शहर के नालों को साफ़ करके पिलाया जा रहा है.
अब आगे की एक और कहानी विदर्भ और बुन्देलखंड में जाकर देख सकते हैं, बाकी हमारे देश के प्रधानमंत्री और उनकी सलाहकार कमेटी को जो दिखायी देता है वो सरमाथे पर !
2 Response to "मेरा देश प्यासा है और आप गंगाजल को बचाने में लगे हुये हैं"
कोई नहीं बचा रहा गंगा को. यह चुनाव से पहले की खोखली घोषणाएं हैं. इस से पहले भी कांग्रेस के एक प्रधानमन्त्री ने यह घोषणा की थी, गंगा को और गन्दा कर दिया, बस सफाई हुई तो जनता के पैसे की.
मुझे तो चिन्ता है कि माघ मेले के दौरान गंगा में पर्याप्त पानी होगा या नहीं संगम पर।
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