सोमवार, 16 जुलाई 2007
नारद जी! आप कहाँ थे जब ये पोस्ट आयी?
कभी-कभी लगता है खुद नारद के कर्णधारों को विवादों से जुडे रहना अच्छा लगता है। मुझे लगने लगा है कि अश्लीलता और विवादास्पद लेखों को नारद पर आने देना ही सभी लोगों की नियति बन गयी है क्योंकि जिस प्रकार का लेख आज (नारद की पाली खतरनाक चुड़ैल सावधान ) नारद पर प्रकट हुआ है शायद वो विवादों को जन्म देने के लिये काफ़ी है. कुछ दिन तक हो-हल्ला मचेगा फ़िर नारद जी उस पर बिना किसी कार्यवाही किये बिना अपना वही पुराना राग अलापते रहेगें कि नारद पर भाषा यां शैली में कोई अश्लीलता यां विवादास्पद टिप्पणी प्रकाशित नहीं होने दी जायेगी
मान्यवर सुभाष जी को शायद ये अहसास नहीं हिन्दी भद्रजनों की भाषा है आप जैसे लेखकों से कतई उम्मीद् नहीं की जा सकती कि आप जिस भाषा क उपयोग कर रहे हैं वो आप की मनोःस्थिति को दर्शाती है कि आप किस स्तर के लेखक हैं
प्रस्तुत है इस लेख की एक छोटी सी कडी जिससे शायद नारद के कर्ण्धारों की नींद खुल सके....तू बालकों को डरा रांड. और अपने नारद के खसमों के साथ सो .हमारा नाम मत ले कुलबोरनी तो तू है छटी छिनाल. नारद के सभी मुसटंडों में तू ने एडस फैला रक्खा है वे भी तेरे पापों से मरेंगे और तू भी बहुत जल्द धीरज रख .सब जगह मुँह काला करती है और दूसरों पर लांछन लगाती है. बदजात.
7 Response to "नारद जी! आप कहाँ थे जब ये पोस्ट आयी?"
मुझे नहीं पता तब नारद के संचालक क्या कर रहे थे, मगर लगता हिअ अब हर बात पर नारद को कोसना एक फैशन सा हो गया है.
क ने ख को कुछ कहा तो ख ने नारद को गालियाँ दी (नारद का क्या दोष था?)इस पर ग ने भी नारद को कोसा की काहे आपको ख बुरा भला कह गया.
धन्य है प्रभू.
नारद को कोसने का एक कारण तो ये समझ आता है कि जब कोई नारद के संचालक को गाली देता है तो तुरंत कड़ी कारवाई की जाती है और यह भी कहा जाता है कि यह पहला अवसर नहीं है और आगे भी इस तरह की कारवाई जारी रहेगी और जब किसी और को (यमदूत और इससे पहले काकेश जी ) को सरेआम गालियां दी जाते है तो नारद के कर्णधार कहते है कि नारद को क्यों गाली दे रहे हो हम क्या करें... वही करो जो उस समय किया था...यानि उस ब्लॉग का नारद पर दिखना बन्द करो और सबको बताओ कि नारद द्वारा कड़ी कारवाई की गयी.
लेकिन ये होगा नहीं क्योकि दोनॉं महानुभाव नारद के संचालक मंडल के नहीं है लेकिन भदौरिया तो यही आरोप लगा रहा है ना.
इतनी सुन्दर गज़लें लिखने वाले गज़लकार के ये शब्द हैं? विश्वास नहीं होता.. इतना ज़हर
हे भगवान
अरे ये भाईसाहब पागल हैं, भाईसा. उनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखने मे गनिमत है.
मुझे ठीक से याद नही आ रहा लेकिन बकौल निदा फ़ाज़ली--"हर चेहरे में छुपे है आठ दस चेहरे, जिसे भी देखो ध्यान से देखो"
क्मलेश भाई,
आप भी कहाँ जा फंसे. आप तो इतना अच्छा लिख रहे हैं. आपको इस़ सब बातों मे पड़ने की कहां जरुरत आन पड़ी..हम तो यूं भी भाई आपको पढ़ते है. न पडो विवादों में. बस सलाह है फिर जो आपकी इच्छा वो ही शिरोधार्य!!! बताना जरुर क्या चाहते हैं आप?
महॊदय आप कहां वीण बजाने लगे हैं। हमारे एक गुरतजी कहते थे कि भैसं के आगे वीण बजाने से वॊ टक्कर मारती है।
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