शनिवार, 20 अक्तूबर 2007

हम हिन्दुस्तानी

Posted on 3:47:00 am by kamlesh madaan

पढनें में अजीब लग रहा होगा लेकिन आम हिन्दुस्तानियों की जो आदतें है वो किसी भी दूसरे देश के लोगों के लिये ईर्ष्या का विषय है, कम से कम मैं तो यही समझता हूँ,आप क्या समझते है अपनी राय टिप्पणी के रूप में दें|

ये कुछ खास विशेषताऐं हैं जो हमें अपने अपने हिन्दुस्तानी होने के एहसास को जोड़े रखती हैं, तो चलो आइये देखें कि आखिर क्या हैं ये.....

अखबारः इसका पढनें का मजा सिर्फ़ मांगकर पढने में ही है, जब तक एक-एक करके अलग-अलग पन्ने करके नहीं पढा तो क्या पढा? भले ही उसका अलग पन्ना किसी तीसरे आदमीं के पास हो!

माचिसः
भले ही आप के पास दो हजार रूपये वाला लाइटर हो लेकिन मांगे की एक तीली में जो मजा है वो उस अदने लाइटर में कहाँ? चलो माचिस दो!

समयः आप रोलैक्स घड़ी पहनते है लेकिन दूसरों से टाईम पूछते हैं क्या बात है!
भाई साहब टाईम क्या हुआ है?

थूकदान-मूत्रदानः माफ़ करना दोस्तों ये भी लिखना जरूरी है क्योंकि इसके बिना भारतीय होना भी कोई नहीं चाहता है, ये एक ऐसा राष्ट्रीय कर्तव्य है जिसे निभाना हर कोई अच्छी तरह से जानता है.सार्वजनिक शौचालय जितने साफ़ मिलते है उतनी ही गंदी हमारी दीवारें.
किसी मॉडर्न आर्ट की बारीकियां सीखनी हों तो किसी दीवार पर शोध कर लीजिये.

परचिंतनः अपना दुख बिना सम्हाले दूसरों के दुख में टांग अड़ाने के लिये तो हम भारतीयों ने मिसाल कायम कर दी है, राजनीति-देश-क्रिकेट-महंगाई ये सब इस बीमारी के शुरूआती लक्षण हैं.कौन क्या बन गया? कल क्या था आज क्या हो गया? अम्बानी-टाटा देखों क्या बन गया है? सलमान खान को बेल होगी यां जेल? अरे इन्डिया के कुल इतने ही रन हुये हैं?
इन सब बातों मे समय व्यतीत करना हमारा मुख्य शगल है.

लाइनः लाइन लगाना चाहे वो राशन,सिनेमा टिकट,रेलवे टिकट,बस,बैंक यां जहाँ लाइन लगती हो वहाँ हम लाइन लगाना अपराध समझते हैं और ऐसा करना हम अपनी तौहीन समझते हैं.लेकिन खिड़की पर बैठे क्लर्क को गालियां देना भी नहीं चूकते.

बिना लाइन के जो मजा है वो लाइन में घंटों खड़े होकर कहाँ तो आइये लाइन तोड़ें!

जुगाड़ः ये ठेठ देसी शब्द आज किसी का मोहताज नहीं है, किसी भी रूप में कोई भी काम हो बिना जुगाड़ के नहीं पूरा होता है चाहे वो किसी के अस्पताल में पैदा होने के लिये पैसे बचाने की जुगाड़ हो यां श्मशान में किसी की चिता के लिये लकड़ी की जुगाड़ ये सब यहाँ इसके बिना इस देश में संभव नहीं है.मैं तो समझता हूँ कि अगर मैनेजमेंट की किताबों में जुगाड़ की महिमा का वर्णन किया जाये तो देश के लिये नये-नये रास्ते खुलेंगे.

आज देश की राजनीति और पूरा देश जुगाड़ और इसके कर्णधारों की नियति पर ही तो टिका है

तो भाई लोगों हिन्दुस्तानी होने के लिये माफ़ कीजिये एक अच्छा हिन्दुस्तानी होने के लिये ये चंद योग्यताऐं आप में होनी चाहिऐं, क्या आप भी हिन्दुस्तानी है?

बाकी की आगे के लेखों में क्लास होगी.....

3 Response to "हम हिन्दुस्तानी"

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Udan Tashtari Says....

अब इस पोस्ट पर तो टिप्पणी का जुगाड़ कर ही लिया आपने, इतना बेहतरीन लिखकर-एक एक बात चोखी है. बहुत बधाई.

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Sagar Chand Nahar Says....

कमलेश भाई
बहुत बढ़िया। अभी बहुत सी आदतों का जिक्र किया जाना बाकी है, सो फटाफट इस लेख की अगली किश्त लिख दीजिये।
इस तरह की एक आदत मेरे ध्यान में भी आ रही है।
सलाह देना: हम भारतीय सलाह देने में बहुत माहिर हैं, जैसे किसी रोगी को दवाईयों की और डाक्टरों की लिस्ट बता देना। आपको पीलीया है आप ऐसा करें दिन में दो बार गन्ने का रस पीयें, और गले में पुनर्नवा की जड़ के टुकड़े कर बांधे। आपको कब्जियात है?...राट को सोते समय इसबगोल की भूसी दूध में मिलाकर पीयें...... आदि आदि
( देखिये मैं भी सलाह देने लगा..)
भले ही सलाह देने वाले खुद आधे समय बीमार रहते हों, दूसरों को सलाह देने से नहीं चूकते।

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Sanjeet Tripathi Says....

बहुत बढ़िया लिखा है आपने, जुगाड़ ही ज़िंदगी है।