सोमवार, 30 जुलाई 2007

पंगेबाज का भविष्य के गर्भ का फ़ाइनल पार्ट

पिछले दिनों जब मैं बाहर क्या चला गया कि पंगेबाज भाई ने भविष्य के गर्भ से पार्ट टू भी लांच कर दिया लेकिन वो इसका फ़ाइनल पार्ट बनाते इससे पहले हमने ही गुरू पंगेबाज को उन्ही की स्टाईल में पटकनी देने का विचार बना लिया। तो अब हाजिर है भविष्य के गर्भ से का फ़ाइनल पार्ट् जो हमारे पंगेबाज दादा की आंखे खोल दे यां वो मेरी आखें फ़ोड् देंगे इस ब्लाँग को...

गुरुवार, 26 जुलाई 2007

तुरत-फ़ुरत के सब साथी

आज जब जल्दी-जल्दी में दफ़्तर के लिये निकला तो याद आया मेरा मोबाईल और पर्स छूट गया है, सो वापस जल्दी-जल्दी घर पहुँचे. घर पहुँच कर देखा तो बीवी कराह रही थी. हमने पूछा क्या हुआ तो जवाब मिला " जल्दी-जल्दी सीढियों से उतर रही थी,गिर पडी. चलो अब आये हो तो मुन्नी को स्कूल भी छोड्ते जाना!"मुझे पहले से ही देर हो रही थी कि उपर से बिन्-बुलायी मुसीबत गले पड गयी. चलो पत्नी पीडित होने की सजा भुगतनी पडी.मुन्नी...

बुधवार, 25 जुलाई 2007

कभी-कभी दर्द बयां नही होता बस! आह निकलती है

जुम्मन मियाँ आज भी अपनी दर्जी की दुकान पर फ़ीता टांगे कपडे को मशीन पर घड्-घड् करते हुये दोनों पैरों को तेजी से चला रहे थे, मेरे आने का अहसास पाकर वो जरा रूके और बोले " मियाँ बडे दिनों के बाद आना हुआ"मैने कहा" हाँ चचा अब शहर में ही अपना घर ले लिया है,अब तो ये गाँव बेगाना सा हुआ लगता है. काफ़ी अरसा हुआ अपनी मिट्टी देखे. लेकिन चाचा आप बताओ आप् कैसे हैं?बस मेरे इतने कहते ही उनका चेहरा सुर्ख हो...

सोमवार, 23 जुलाई 2007

हैरी पॉटर भईये तुम तो छा गये!

आज जब दिल्ली में जे.के. रोलिंग की किताब के लिये लाइन लगी देखी तो मुझे आश्चर्य हुआ कि भारतीयों को हो क्या गया है?मेरे मित्र ने जब किताब खरीदने की बाबत मुझसे पूछा तो मेरा जवाब सुनकर वो हँसने लगा क्योंकि मैं उस किताबी जादूगर को नहीं जानता था याँ शायद मैं उसकी नजर में मूर्ख घोषित हो चुका था।किस तरह से नर-नारी-बच्चे उस 975 रू0. वाली किताब के लिये...

बुधवार, 18 जुलाई 2007

माँ-(मेरा एक महत्वाकांक्षी लेख)-भाग-प्रथम

काफ़ी समय से मैं इस लेख के लिये व्यथित हो रहा था कि कब मैं अपना अनुभव और एक खूबसूरत सच्चाई को किस तरह लिखूं । मैने इस लेख के लिये दिन-रात मेहनत की है,और यह सच्चाई लिखने के समय मेरे हाथ काँप रहे थे क्योंकि जिस विषय पर मैं लिख् रहा था वो एक शब्द ही नहीं वरन् अपने आँचल में पूरा संसार समेटे हुये है।मैं अपने मन की बात छोटी-छोटी कहानियों के द्वारा प्रस्तुत कर रहा हूँ आशा है आप सभी इस छोटे को प्यार...

सोमवार, 16 जुलाई 2007

नारद जी! आप कहाँ थे जब ये पोस्ट आयी?

कभी-कभी लगता है खुद नारद के कर्णधारों को विवादों से जुडे रहना अच्छा लगता है। मुझे लगने लगा है कि अश्लीलता और विवादास्पद लेखों को नारद पर आने देना ही सभी लोगों की नियति बन गयी है क्योंकि जिस प्रकार का लेख आज (नारद की पाली खतरनाक चुड़ैल सावधान ) नारद पर प्रकट हुआ है शायद वो विवादों को जन्म देने के लिये काफ़ी है. कुछ दिन तक हो-हल्ला मचेगा फ़िर नारद जी उस पर बिना किसी कार्यवाही किये बिना अपना...

शुक्रवार, 13 जुलाई 2007

कुछ इधर-उधर की....

बकरी चराने वाली बनी 'स्टार गर्ल'दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो राह अपने-आप बन जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बोचहां के पटियासा जालान गांव की अनीता ने। मधुमक्खी पालन में सफलता की नई कहानी लिखने वाली एक मजदूर की बेटी अनीता कुमारी को यूनिसेफ ने स्टार गर्ल चुना है। दिल्ली में महात्मा गांधी सेवा सदन में आयोजित कार्यक्रम में बिहार से अनीता कुमारी,...

बुधवार, 11 जुलाई 2007

गधों की विचित्र दुनिया

1. सीधाई और सच्चाई के प्रतीक गधों और खच्चरों के परिश्रम को सम्मान देते हुए नेपाल में अब इन निरीह प्राणियों को साप्ताहिक अवकाश दिए जाने का फैसला हुआ है। नेपाल के दुर्गम हिमालयी क्षेत्र संखुवसाभा में सड़कों के अभाव में मालवहन के लोकप्रिय साधन गधों और खच्चरों की कड़ी मेहनत को सम्मान देने के लिए स्थानीय व्यापारियों ने उन्हें भी साप्ताहिक अवकाश देने का फैसला किया है। इतना ही नहीं क्षेत्र...

रविवार, 8 जुलाई 2007

मुझे हसाँओ तो जानूं!

लाफ़्टर चैलेंजों और कामेडी सर्कस चलाने वालों सावधान आप सब पर हमारा एंटी-लाफ़्टर मैन आ चुका है और चैलेंज दे रहा है मुझे हसाँओ तो जानूं। जी हाँ ये सच है यकीन नहीं होता खुद ही पढ् लो....पिछले एक दशक से केरल के सुरेश बैबी हंसना भूल गए है और उन्हें हंसाने के प्रयास में बडे़ से बड़े हास्य अभिनेता, विदूषक और जोकर भी असफल हो चुके है। सुरेश को हंसाने के एवज में सोने का एक सिक्का ईनाम के तौर पर रखा...

शनिवार, 7 जुलाई 2007

लिखो तो ऐसे लिखो!

जागरन.कौम पर जब यह समाचार पढा तो लगा शायद अगर कोई हिन्दी की सेवा बिना किसी संसाधनों के कर रहा है तो वो व्यक्ति सम्मान पाने लायक है.कैसे एक साधारण और वित्तविहीन इंसान जो सिर्फ़ 10वीं तक ही पढा हुआ है,पेशे से धोबी है और इस अखबार का स्वयं ही सम्पादक-प्रकाशक और मालिक है.इस अखबार को उन्होने (रजिस्ट्रार औफ़ न्यूज पेपर फ़ाँर इन्डिया )आर.एन.आई. में पंजीक्रत भी करवा रखा है. इस अखबार का नाम दीन-दलित...

गुरुवार, 5 जुलाई 2007

जहाँपनाह ये क्या हो रहा है?

मुगल सम्राट शाहजहाँ(असली नाम "खुर्रम") ने इमरजेंसी मीटिंग बुलायी है। शहर के सभी गणमान्य लोग उपस्थित हैं और मीटिंग का विषय है "ताज पर 'एस एम एस' कैसे करें?एक दरबारी बोला "जहाँपनाह् आज पूरा विश्व आपके पीछे पडा हुआ है,मालूम होता है जैसे शायद कोई गुनाह किया है आपने! दूसरा तपाक से बोला "लेकिन जहाँपनाह चिन्ता का विषय यह है कि पहले तो उन्होने ताजमहल...

मंगलवार, 3 जुलाई 2007

मैं इंसान हूँ!

आज जब सुबह-सुबह समाचार पत्र में एक किसान के द्वारा भूख से मर जाने की खबर पडी तो मन विचलित हो उठा,मन अनायास ही लिख्नने के लिये मचल उठा,क्योंकि मरना एक अलग बात है लेकिन एक किसान जो अन्न उपजाता है उसका भूख से मरना दुखद ही है ।मै पहली बार किसी कविता के माध्यम से अपना ह्र्दय पेश् कर रहा हूँ, आशा करता हूँ आप सराहना देंगेमरता हूँजीता हूँउम्मीदें हैं कुछ करनें की,कुछ बूंदें मिल जायें इस प्यासे कोकुछ...

सोमवार, 2 जुलाई 2007

नारद् जी सुनिये! जमाना बदल गया है...

नारद् जी जब मैने पिछले शुक्रवार को एक बहुत ही सटीक लेख महादेवी वर्मा(हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती) का वर्णन अपने ब्लाँग पर दिया तो मुझे लगने लगा कि हिन्दी को बढावा देने वाले और हिन्दी लेखन में अपनी रूचि रखने वाले मेरे इस लेख को शाबाशी देंगे और मुझे आगे बढने के लिये प्रोत्साहित करेंगे लेकिन मुझे तब आश्चर्य हुआ कि मेरे लेख की प्रोत्साहना तो दूर किसी ने उसे नजर उठाकर भी देखना गंवारा नहीं...