सोमवार, 10 नवंबर 2008

ब्लॉगर शब्द का हिन्दी नामकरण क्या हो सकता है? इसे जनमानस तक पहुँचाने के लिये कुछ आसान और बढिया शब्द बताइये!

आज रवीश जी ने एक अलग ही विचार प्रकट किया है जो उचित है ब्लॉगर को फुटबॉलर कहें, यकीनन उनके मन में उपजी इस बात को कई लोगों ने समझा होगा यां नहीं लेकिन ये सच है कि ब्लॉगर और चिट्ठा और पत्रकार के बीच की खाई को पाटने के लिये हमें कोई विकल्प तलाशना होगा जो दर्शित करे कि वो इंटरनेट पर हिन्दी में लिखने वाला प्राणी है जिससे ब्लॉगिंग यानी कि चिट्ठाकारी जनमानस तक पहुँच सके.मेरा अनुरोध है कि हिन्दी...

बुधवार, 5 नवंबर 2008

मेरा देश प्यासा है और आप गंगाजल को बचाने में लगे हुये हैं

ये सवाल मैं नहीं आज लगभग देश का हर नागरिक सोच रहा है क्या वाकई में गंगा को बचाने के लिये देश के प्रधानमंत्री इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे ? अगर जवाब हाँ है तो उनके कार्यकाल के बाद क्या अगले प्रधानमंत्री को ये सब कार्य करने की सुध रहेगी ? क्या राज्यों के मुख्य मंत्री गंगा बचाने की मुहिम में अपने लिये गंगा का अधिकांश जल मांग उठे तो...?और तो और गंगा नदी तो एक अविरल धारा है लेकिन लुप्त होती नदियों...

गुरुवार, 30 अक्टूबर 2008

राहुल राज का कदम भगत सिहं सरीखा था

मुम्बई बेस्ट एन्काउंटर में मारे गये राहुल राज ने न केवल खुद को इस देश की गन्दी राजनीति की आग में झोंक दिया बल्कि मुझे लगता है कि उसने खुद ये काम अपनी प्रेरणा से दूसरों को आगे आने के लिये किया क्योंकि जिस तरीके से ये काम उसनें किया वही तरीका भगत सिंह नें असैम्बली में बम फ़ेंक कर किया था, आज हर उत्तर भारतीय के मन फ़ैले डर को उसने खत्म किया है और पैदा किया है एक नयें जोश को जो आने वाले समय में...

मंगलवार, 14 अक्टूबर 2008

अविनाश बाबू आपको अभी भी शर्म नहीं आती?

आज फ़िर से शर्मसार करते हुये अविनाश नें एक व्यक्तिगत पत्र को फ़िर से सार्वजनिक कर दिया है जो निंदनीय है और शायद अविनाश बाबू की रगों में बहते नापाक इरादों का फ़ल , क्योंकि इन्होने एक सीधे-साधे इंसान का सार्वजनिक रूप से अपमान किया है.श्री सुरेश चंद्र गुप्ता जी के ब्लॉग और पत्र के जवाब में उन्होने जो अशोभनीय हरकत की है वो जगजाहिर है कि वो अपनी करतूतों से बाज नहीं आयेंगे, उस पर तुर्रा ये कि अपने...

शनिवार, 11 अक्टूबर 2008

बिना एंटी-वायरस के अपने यू.एस.बी. ड्राइव को कैसे क्लीन करें यानी वायरस रहित

मैने पिछली पोस्ट में बताया था कि बिना एंटी-वायरस के नेट-सर्फ़िंग कैसे करें जिसे आप लोगों ने सराहा! अब जानते हैं कि यू.एस.बी. में मौजूद वायरस को कैसे हटायें?जैसा कि आप जानते होंगे कि 90% वायरस यू.एस.बी. और सी.डी.ड्राइव से फ़ैलते हैं ये सब एक प्रोग्राम यानी वायरस जनरेट करते हैं और आपका कम्प्यूटर दूषित होता चला जाता है.इन वायरसों में एक सबसे खराब...

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2008

क्या बिना एंटी-वायरस के सेफ़ इंटरनेट ब्राउजिंग संभव है?

यकीन नहीं होता ना! लेकिन ये मैने संभव किया है क्योंकि मैं पिछले छः माह से बिना एंटी-वायरस के कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहा हूँ और वो भी बिना किसी नुकसान के.अब कैसे संभव हुआ ये जानते हैं.....सबसे पहले मैने फ़ायर-फ़ॉक्स का एक पुराना वर्जन डाउनलोड किया वर्जन है 2.0.0.11 ये इसका एक अच्छा वर्जन है जो सारे के सारे प्लग-इन और स्पीड के साथ चलता है.अब...

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2008

अतुल्य भारत - मेरी यात्राओं से (भाग -दो)

पिछले भाग में मैने कुछ तस्वीरें और कुछ संछिप्त परिचय दिया था अपनी पिछली चार माह के गायब रहने का कारण सहित.अब कुछ फ़ुर्सत है और लिखने का उचित समय भी तो हाजिर है भाग-दो---------------------------------------------------------------------------मेरी यात्राओं में बहुत से पड़ाव और शहर,गाँव आये .. गौरतलब बात यह है कि मैने ये यात्रायें दुपहिया वाहन...

सोमवार, 6 अक्टूबर 2008

जागो रे! ये एक मजाक है यां पब्लिसिटी का नया फ़ंडा

पिछले लगभग एक महीने से मैं इस जागो रे नामक एड को देख रहा हूँ और कई दिनों से इस वेबसाइट को भी देख रहा हूँ.बहुत सी कमियां हैं जो देखने के बाद पता चलता है कि वेबसाइट बनाने वालों ने सिर्फ़ अपने उत्पाद को लोकप्रिय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है इसलिये ये एक जागरूक अभियान न होकर वरन एक सुस्त प्रोग्राम सा लगता है जिसे खुद ही जागो रे कहने की जरूरत है.कुछ कमियां : - अव्वल तो यह संपूर्ण गुलामी की मानसिकता...

रविवार, 5 अक्टूबर 2008

तो अब पूरी तैयारी है युवा ब्लॉग के छाने की!

मेरे प्यारे साथियों किसी कारणवश मैं अपने इस अति महत्वपूर्ण मंच "युवा" ब्लॉग को चालू नहीं कर पा रहा था. लेकिन अब पूरी तैयारियों और नये जोश के साथ इस प्रयास को दुबारा जीवित करने का संकल्प लिया है और साथ ही साथ ये भी कोशिश रहेगी कि इस मंच के साथ अधिक से अधिक लोग जुड़ें क्योंकि ये केवल परहित के लिये बना है. मेरा उन सबसे अनुरोध है जो इस ब्लॉग...

शनिवार, 4 अक्टूबर 2008

अब विन्डोज एक्स. पी. में अपने यू.एस.बी. ड्राइव को रैम की तरह इस्तेमाल करिये

आपने विन्डोज विस्टा की एक स्पेशल खूबी तो पहचानी ही होगी! अगर नहीं जानते हैं तो मैं बताता हूँ, विन्डोज विस्टा में एक स्पीडबूस्टर नामक सॉफ़्ट्वेयर इनबिल्ट है जिससे आप अपनी यू.एस.बी. ड्राइव को रैम की तरह इस्तेमाल कर सकते है.ये एक कमाल का सॉफ़्टवेयर है विस्टा में लेकिन जब हम विन्डोज एक्स. पी. इस्तेमाल कर रहे हैं तो कैसे होगा ये सब ?अब एक्स. पी. में एक सॉफ़्टवेयर विकसित हुआ है जिससे आप अपनी यू.एस.बी....

मंगलवार, 19 अगस्त 2008

मार्केटिंग चालू आहे!

मार्केटिंग--- इस एक शब्द का अर्थ पता करने के लिये मैं कितने दिनों से जूझ रहा था, इस शब्द में कितनी महानता-चतुराई-चापलूसी-मूर्खता-धोखा-षढ्यंत्र है ये सब तो इस एक शब्द को पूरा करने के लिये कम हैं.मतलब? नहीं समझ आया ना !तो चलिये कुछ दिनों की दिनचर्या पर नजर ! डालें अरे अपनी नहीं मेरी!!!सुबह-सुबह पार्क में वाकिंग करने के लिये जब चलने लगा तो एक दिन देखा कि पार्क में कुछ लोगों ने एक छोटी सी मूर्ती...

गुरुवार, 24 जुलाई 2008

अतुल्य भारत- मेरी यात्राओं से(भाग-एक)

इस बार् कुछ तस्वीरें दे रहा हूं जो मेरे भारत का सच्चा दर्शन देती हैं, अभी बहुत कुछ बाकी है आगे जो मेरी पोस्टों में देने वाला हूँ।मुझे काफ़ी अनुभव,आश्चर्यजनक बातें, काफ़ी लोग,कई शहर जो अनजान थे मेरे लिये, कई रातें, सड़कें जो केवल मैं ही था उस पर, पूरा आसमान मिला, हर तरफ़ धरती मिली, नदियां मिलीं, गाँव मिले, शहर मिले,खेत मिले, बंजर धरती मिली, प्यासे...

सोमवार, 7 जुलाई 2008

तो अब! वापसी है ब्लॉग जगत में

लगभग दो-तीन महीने के अंतराल के बाद घर (ब्लॉगजगत) में लौटना सुखद हो रहा है, इस दौरान काफ़ी खट्टे-मीठे अनुभव प्राप्त हुये जो मैने अपनी यात्राओं से सीखीं।क्या कहा यात्रायें?जी हाँ ! एकदम से स्वभाव के उलट इस बार मैने एक साथ लगभग इतने दिनों और इतने शहरों की यात्राये की हैं जो मेरे लिये एक आश्चर्यजनक अनुभव था। इसका विवरण मैं आगे जरूर लिखूंगा.हालांकि...

रविवार, 4 मई 2008

भूखे,बेबस और लाचार भारत के लोगों को अच्छा खाने की आदत बढ रही है

कोंडेलिजा राइस- नाम से ही किसी भुखमरी का शिकार ये महिला आजकल भारत के लिये जितनी चिंतायें जता रहीं हैं और उनके सुर में सुर मिला रहे हैं बुश साहब! तो शायद पूरी दुनियां को यकीन हो न हो लेकिन हमारे प्रधानमंत्री और सोनियां जी और शायद उनके चाटुकार अधीनस्थों को तो ये यकीन हो चला है.जिस देश में रोटी को बरगर और चावल किसी सूप की तरह बेकार के अस्वादिष्ट रूप में खाया जाता हो जिन्हें शायद मसालों,तेल...

बुधवार, 30 अप्रैल 2008

क्या बुंदेलखंड और बाकी भारत के पानी की समस्या का ये हल हो सकता है?

लगभग एक साल पहले जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की थी तो इस पोस्ट को एक भयावह रूप में लिखा था क्योंकि ये वाकई में भयावह स्थिति का अनुमान था लेकिन आज मैनें फ़िर से अपने आपको उस स्थान पर रखा जहाँ से ये कहानी शुरू हुयी है........अब तबाही दूर नहीं ! नाम से जब ये पोस्ट लिखी तो मन में अजीबो-गरीब तरीके के ख्याल आने लगे लेकिन अब यही ख्याल मुझे "नेगेटिव" सोच से पोजिटिव की ओर जाने को मजबूर कर रहा है कि जिस...

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2008

अपहरण उधोगः कुछ नियम कानून भी हैं इस धंधे में

अब चौंकने की बारी आप की है क्योंकि पहले-पहल जब इस बारे में मैं पिछले कुछ महीनों के अलग-अलग अखबार निकाल रहा था तो कुछ बिंदु यानी पॉइंट मुझे मिले जो आपको चौकांते भी हैं कि कैसे ये धंधा चलता है और क्या-क्या उसूल हैं इस धंधे में........सबसे पहले ये जान ले कि ये धंधा क्या है और कैसे ये फ़लीभूत हो रहा है?पिछले लगभग एक दशक से जिस तेजी से जनसंख्या बढी है उसी तेजी से समाज में अमीरी-गरीबी का भी दायरा...

शनिवार, 19 अप्रैल 2008

युवा- एक नया प्रयास

कभी-कभी अनजाने में ही आपको अपनी मंजिल और ध्येय का मार्ग मिल जाता है, बस ! जरूरत होती है उस मार्ग को पहचानना और उस मंजिल को प्राप्त करना.लेकिन कभी-कभी उसके विपरीत कोई खुद आकर आपको आपका रास्ता दे और जो विपरीत दिशा में चलता हो...तो आपके लिये ये सौभाग्य की ही बात होगी ना!जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ अपने पंगेबाज दादा उर्फ़ बाबा फ़रीदी उर्फ़ अरून जी कीकरीब दो दिन पहले उनसे फ़ोन पर बातचीत हो रही थी बातचीत...

गुरुवार, 17 अप्रैल 2008

अविनाश ! आपको आईना दिखा रहा हूँ, हो सके तो शर्म करना

अभी तक तो लोगों ने समझा था कि अविनाश कुछ हद तक महत्वाकांक्षी हैं लेकिन अब तो लग रहा है कि उन्होने उस सीमा-रेखा को भी लांघ दिया है जहाँ से इंसान का पतन शुरू हो जाता है.पहले-पहल आप ही सभी लोगों को लेकर साथ में मुहल्ले का निर्माण करना, फ़िर जिस थाली(ब्लॉग एग्रीग्रेटरों) का खाया उसी में छेद करना.कुछ विवादित होने का ठप्पा लगा तो खुश होकर अति उत्साह में ब्लॉग जगत के दिग्गजों को नारद के समय अपमानित...

बुधवार, 16 अप्रैल 2008

अविनाश बाबू ! ये तो होना ही था

आज जनसत्ता के कार्यकारी संपादक श्री ओम थानवी का जो पत्र आपने सार्वजनिक किया है आपकी व्याकुलता और हताशा उससे जाहिर हो रही है !जाहिर है साफ़ तौर पर हर जगह आपकी मठाधीशी और आपका मॉडरेशन तो चलने से रहा! ये स्वतंत्रता यां ये कहिये कि ये जिद आप अपने ब्लॉग पर ही कर सकते हैं किसी अखबार यां किसी निजी लेखन के क्षेत्र में तो आप एसा करने से रहे क्योंकि उनको अपना अखबार भी तो चलाना है भाया!वैसे एक बात और...

गुरुवार, 3 अप्रैल 2008

मार्च माह का अवलोकन: अपना-अपना राग-भाग-एक

अपना-अपना राग -- जी हाँ ये ही शीर्षक इस माह के अवलोकन के लिये काफ़ी था क्योंकि इस मार्च माह में काफ़ी नये चेहरे और ब्लॉग्स देखने को मिले तो वहीं दूसरी ओर सभी ब्लॉगरो नें किसी विवाद को मुद्दा बनाये बगैर अपना राग अलापे रखा!अब ये भी कह सकते है कि होली की खुमारी और फ़ाल्गुन की सौंधी खुशबू सभी लोगों के दिलो-दिमाग पर छायी हुयी थी खैर चलिये अब आगे...

मंगलवार, 1 अप्रैल 2008

क्या ये अपने आलोक पुराणिक जी हैं?जो आज बी.बी.सी. पर चमक रहे हैं

आज बी.बी.सी. न्यूज डॉट कॉम पर एक लेख देखा पहले तो उस लेख को पढ लिया फ़िर अचानक उस लेख के लेखक की तस्वीर देखी तो कुछ दुविधा में आ गया कि ये अपने आलोक पुराणिक जी ही हैं ना ?ये तो मुझे पता है कि वो आर्थिक विशेषज्ञ हैं लेकिन उनका चेहरा अलग ही दिख रहा है, थोड़ा कन्फ़्यूजिया गया हूँ! आप सभी लोग मदद करें और बतायें कि ये आलोक जी हैं नाउनका लेख इस लिंक...

शुक्रवार, 21 मार्च 2008

उड़नतश्तरी आगरा आगमन

सोमवार के दिन मैं सुबह-सुबह ड्यूटी से लौट कर नींद ले ही रहा था कि अचानक बिजली गुल हो गयी, ठीक उसके बाद मेरा मोबाइल घनघना उठा और एक अपरिचित नंबर देख कर मन में कुछ शंका उठी लेकिन दूसरी तरफ़ से एक ठंडी हवा के झोंके सरीखी आवाज का सामना हुआ "हैलो कमलेश ! आप कमलेश ही बोल रहे हैं ना मैं समीरलाल बोल रहा हूँ"ये सुनते ही हमारी बाँछें खिल उठी और हमको लगने लगा शायद हम कोई मिल गया के ॠतिक रोशन हो गये...

मंगलवार, 18 मार्च 2008

होली पर विशेष

कुछ विशेष रंग जिनके बिना इस बार आपकी होली कुछ फ़ीकी सी लग सकती है, क्योंकि चटख रंग के बिना होली कैसी और बिना होली के आनंद कैसे? ये चटख रंग खून,भूख,अत्याचार,युद्ध,अशांति के घोतक हैं अतः इनका इस्तेमाल आप किसी भी देश में कर सकते हैं चाहे वो भारत हो यां पाकिस्तान बल्कि ये चीन,गाजा,अफ़गानिस्तान,अफ़्रीका आदि देशों में भी धड़ल्ले से इन रंगों का इस्तेमाल...