मंगलवार, 9 मार्च 2010

नारी के नाम पर मचता ढोंग

आखिर वहीं हुआ जिसके लिए महिला आरक्षण विधेयक अभिशप्त है। हवा में तैरते विधेयक के टुकड़ों और अभूतपूर्व हंगामे के बीच सोमवार को महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश तो हो गया, लेकिन विधेयक विरोधी सांसदों के हुड़दंग और बागी तेवरों के चलते चर्चा और मतदान तो दूर सदन की कार्यवाही भी नहीं चल पाई। इस बीच सरकार ने विधेयक पर कार्रवाई को टालते हुए सर्वदलीय समिति के सहारे रास्ता निकालने की तैयारी की है। हालांकि विधेयक विरोधियों और सरकार के बीच शुरू हुई चर्चा की कवायद से फिलहाल इस संविधान संशोधन विधेयक का भविष्य एक बार फिर अधर में नजर आ रहा है। सरकार ने विधेयक को मंगलवार के लिए निर्धारित सदन की कार्यसूची में भी एक बार फिर सूचीबद्ध किया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री ने सोमवार शाम विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात कर इस मुद्दे पर मंगलवार की सुबह सर्वदलीय बैठक बुलाई है। वहीं इस बैठक से पहले कांग्रेस आलाकमान ने अपनी रणनीति के कील-कांटे दुरुस्त करने के लिए देर शाम कोर ग्रुप नेताओं के साथ भी बैठक की। बैठक में तय किया गया कि प्रधानमंत्री सभी दलों के नेताओं से बात कर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। सरकार की ओर से हो रही तमाम कोशिशों ने सदन तक पहुंचे महिला आरक्षण विधेयक को एक बार फिर चर्चा की मेज पर पहुंचा दिया है। वहीं विधेयक विरोधी सपा और राजद नेताओं के रुख से साथ है कि वो किसी भी सूरत में इसे रास्ता देने को तैयार नहीं हैं। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव की अगुवाई में चल रहे विरोधी अभियान ने सोमवार को संसद के दोनों सदन नहीं चलने दिए। हंगामे के कारण लोकसभा चार बार तो राज्यसभा की कार्यवाही पांच बार स्थगित करनी पड़ी। दरअसल, इस विधेयक के शगुन सुबह से ही खराब नजर आने लगे थे। राज्यसभा में सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो सपा सांसदों के हंगामे के कारण प्रश्नकाल भी नहीं हो सका। रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा की मांग को लेकर अड़े सपा सांसदों के विरोध को देखते हुए सदन पहले 12 बजे और फिर दो बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। वहीं दो बजे जब सभापति ने विधेयक को चर्चा के लिए पेश करने के लिए पुकारा तो विरोध सदन में हंगामा अपने चरम पर पहुंच गया। बौखलाए सपा सांसद कमाल अख्तर, नंद किशोर यादव, जदयू के निलंबित सांसद एजाज अली और राजद सांसद राजनीति प्रसाद ने सदन में हंगामे की हदें पार करते हुए सभापति के आसन पर ही धावा बोल दिया। हुड़दंगी सांसदों ने न केवल विधेयक के टुकड़े कर सभापति के आसन पर फेंके बल्कि सपा सांसद कमाल अख्तर ने तो हामिद अंसारी की टेबल तक पहुंचकर कागज छीनने का भी प्रयास किया। वहीं नंदकिशोर यादव ने सभापति की टेबल पर लगा माइक ही तोड़ डाला। आलम यहां तक पहंुच गया कि हुड़दंग कर रहे सांसदों को रोकने के लिए मार्शलों को भी सदन में आना पड़ा। हालांकि सरकार ने सदन में मार्शल तैनाती का फैसला जरूर लिया हो लेकिन उसके बाद कार्यवाही नहीं चला पाई। सरकार के सियासी प्रबंधक हर स्थगन के बीच मिले वक्त में सुलह का रास्ता तलाशते नजर आए। बहरहाल, फिलहाल महिला आरक्षण विधेयक उसी मुहाने पर खड़ा है जहां की दशकों से अटका है।

अभूतपूर्व हंगामे के बीच सोमवार को महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश हुआ पर विरोधी सांसदों के हुड़दंग और बागी तेवरों के चलते चर्चा औ मतदान तो दूर सद की कार्यवाही भी नहीं चल पाई। सभापति से छीनाझपटी हुड़दंगी सांसदों ने विधेयक के टुकड़े कर सभापति पर फेंके, सपा सांसद कमाल अख्तर ने सभापति से कागज छीनने का भी प्रयास किया। नंदकिशोर यादव ने माइक तोड़ डाला।






संसद, राजनीती देश की जनता इस बेवकूफाना हरकत को अंजाम दे रही है जो शायद हिन्दुस्तान के इतिहास में कभी हुआ ही नहीं है |

किसने कहा की महिलाओं के लिए विधेयक पारित करो, क्योंकी ये वो लोग है जो वोट माँगते वक्त तो महिला सशक्तिकरण और उत्थान की बातें करते हैं और फिर जब इस पर अमल करने की बारी आयी तो गिरगिट बन जाते हैं,किस उम्मीद से आप 8 मार्च को महिला दिवस मनाते हैं, क्या इतना अपमान देखने और सुनने के लिये ?

इस देश में महिलाओं को आरक्षण तब तक नहीं मिल सकता जब तक देश के लोगों की सोच नहीं बदल जाती, क्या फ़ायदा जिस देश की राष्ट्रपति एक महिला हों और उस देश की महिलाओं ने उस देश के लिये बहुत कुछ किया हो और बदले में तिरस्कार और अपमान का घूँट पीने को मिला हो |

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

तस्वीरें जो बोलती हैं-भाग 5

लीजिये फ़िर से भारत को तस्वीरों के माध्यम से देखने-समझने के लिये प्रस्तुत है मेरी ये पोस्ट.

पहले और द्वित्तीय,तृतीय,चतुर्थ भाग के बाद आज फ़िर से उसी श्रंखला को दोहराने का मन हो चला तो मेरे द्वारा सहेजकर रखी गयीं इन तस्वीरों को पोस्ट के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ.

नोट- ये तस्वीरें भारत के जाने-माने छायाकारों की हैं जिनके शीर्षक (टाईटल) उन्हीं की देन हैं,मैं फ़िर से कहूंगा कि प्रत्येक तस्वीर से एक पोस्ट बनायी जा सकती थी लेकिन ऐसा करने से शायद उस तस्वीर की आत्मा ही मर जाती

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a humble approach to bridge economic gap : एक विनम्र दृष्टिकोण आर्थिक खाई पाटने के लिए





be aggressive : आक्रामक होना




Blue : नीलवर्ण




Bubbly Birthday : Bubbly Birthday





Buffalo Dance : भैंस नृत्य





burden of life : जिंदगी का बोझ





Chief : मुखिया





Death Dance Around : मौत नृत्य के आसपास





Filling Pattern : Filling Pattern





Ganga puja : गंगा पूजा




ghost town : भूतों का नगर




Golkonda fort : गोलकुंडा किला




har ki pairi : har ki pairi




les ombrelles : छाता




little monalisa : छोटी मोनालिसा




look, over there : देखो, वहाँ पर




perfect catch : सही पकड़





selling beads : मोती की बिक्री




serious conversation : गंभीर वार्तालाप




smoking farmer : smoking farmer






two sadhu : दो साधु




women in red : महिला, लाल रंग में