मुम्बई बेस्ट एन्काउंटर में मारे गये राहुल राज ने न केवल खुद को इस देश की गन्दी राजनीति की आग में झोंक दिया बल्कि मुझे लगता है कि उसने खुद ये काम अपनी प्रेरणा से दूसरों को आगे आने के लिये किया क्योंकि जिस तरीके से ये काम उसनें किया वही तरीका भगत सिंह नें असैम्बली में बम फ़ेंक कर किया था, आज हर उत्तर भारतीय के मन फ़ैले डर को उसने खत्म किया है और पैदा किया है एक नयें जोश को जो आने वाले समय में महाराष्ट्र और देश के लिये घातक भी हो सकता है
शायद ठाकरे परिवार और सरकार ये भूल चुकी है कि उत्तर भारतीयों की बदौलत वो कमा-खा रहे हैं वरना इन महानगरीय परिवेश में रहने वाले आलसी जीवों से पूछकर देख लो कि कौन इनकी मजदूरी से लेकर आई.टी.,फ़िल्म जगत और प्रशासनिक सेवायें सम्हाले हुये है
बस अब आगे लिखने का तात्पर्य सभी समझदार लोग समझ चुके होंगे इसीलिये अब "बॉयकाट मुम्बई" का नारा लगाने का वक्त हो चला है
शायद ठाकरे परिवार और सरकार ये भूल चुकी है कि उत्तर भारतीयों की बदौलत वो कमा-खा रहे हैं वरना इन महानगरीय परिवेश में रहने वाले आलसी जीवों से पूछकर देख लो कि कौन इनकी मजदूरी से लेकर आई.टी.,फ़िल्म जगत और प्रशासनिक सेवायें सम्हाले हुये है
बस अब आगे लिखने का तात्पर्य सभी समझदार लोग समझ चुके होंगे इसीलिये अब "बॉयकाट मुम्बई" का नारा लगाने का वक्त हो चला है