आज जब अनायास ही विकिपिडिया का हिन्दी लेखागार खोला तो मन द्रवित हो उठा इस महान विभूती के बारे में लेख पढकर
महादेवी वर्मा की छवि हिन्दी साहित्य के एक अविरल सत्य के रूप में जानी जाती है जिन्होने हिन्दी के एक युग के निर्माण में स्तम्भ के रूप में योगदान दिया2007 साल उनकी जन्मशताब्दी के रूप में मनाया जा रहा है जिसकी छवि इन्टरनेट पर कुछ पेज तक ही सीमित है,लेकिन शायद अभी इस देश को सुनीता विलियम्स,प्रतिभा पाटिल,ऐशवर्या राय,राखी सावंतों से फ़ुर्सत नहीं है।
क्या करें इस देश की विडम्बना ही यही है कि सभी लोग चढते सूरज को ही सलाम करते हैं लेकिन उन्हें भूल जाते हैं जिन्होने इस देश की संस्क्रति को हमें धरोहर के रूप में दिया है।आईये कुछ लिखें अपनें देश के गौरवशाली साहित्यकारों और उनके द्वारा दिये गये योगदान पर! हम हिन्दी ब्लाँग तो लिख रहे हैं लेकिन हिन्दी साहित्य कहाँ चला गया है?
प्रस्तुत है उनको समर्पित लेख जो शायद नये लेखकों को भारत के महान साहित्य लेखनकाल को सजीव करता है।
क्रपया इस लिंक पर क्लिक करें जिससे आप तुरंत उनके जीवन के बारे में जानकारी पायेंगे।
महादेवी वर्मा की छवि हिन्दी साहित्य के एक अविरल सत्य के रूप में जानी जाती है जिन्होने हिन्दी के एक युग के निर्माण में स्तम्भ के रूप में योगदान दिया2007 साल उनकी जन्मशताब्दी के रूप में मनाया जा रहा है जिसकी छवि इन्टरनेट पर कुछ पेज तक ही सीमित है,लेकिन शायद अभी इस देश को सुनीता विलियम्स,प्रतिभा पाटिल,ऐशवर्या राय,राखी सावंतों से फ़ुर्सत नहीं है।
क्या करें इस देश की विडम्बना ही यही है कि सभी लोग चढते सूरज को ही सलाम करते हैं लेकिन उन्हें भूल जाते हैं जिन्होने इस देश की संस्क्रति को हमें धरोहर के रूप में दिया है।आईये कुछ लिखें अपनें देश के गौरवशाली साहित्यकारों और उनके द्वारा दिये गये योगदान पर! हम हिन्दी ब्लाँग तो लिख रहे हैं लेकिन हिन्दी साहित्य कहाँ चला गया है?
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