गुरुवार, 24 जुलाई 2008

अतुल्य भारत- मेरी यात्राओं से(भाग-एक)

इस बार् कुछ तस्वीरें दे रहा हूं जो मेरे भारत का सच्चा दर्शन देती हैं, अभी बहुत कुछ बाकी है आगे जो मेरी पोस्टों में देने वाला हूँ।
मुझे काफ़ी अनुभव,आश्चर्यजनक बातें, काफ़ी लोग,कई शहर जो अनजान थे मेरे लिये, कई रातें, सड़कें जो केवल मैं ही था उस पर, पूरा आसमान मिला, हर तरफ़ धरती मिली, नदियां मिलीं, गाँव मिले, शहर मिले,खेत मिले, बंजर धरती मिली, प्यासे लोग मिले तो कहीं बाढ भी मिली।


ये सब आगे अनुभव लिखूंगा फ़िलहाल् आज कुछ तस्वीरें दे रहा हूँ जो अन्जान शहर और अन्जान लोगों की हैं






सोमवार, 7 जुलाई 2008

तो अब! वापसी है ब्लॉग जगत में



लगभग दो-तीन महीने के अंतराल के बाद घर (ब्लॉगजगत) में लौटना सुखद हो रहा है, इस दौरान काफ़ी खट्टे-मीठे अनुभव प्राप्त हुये जो मैने अपनी यात्राओं से सीखीं।



क्या कहा यात्रायें?



जी हाँ ! एकदम से स्वभाव के उलट इस बार मैने एक साथ लगभग इतने दिनों और इतने शहरों की यात्राये की हैं जो मेरे लिये एक आश्चर्यजनक अनुभव था। इसका विवरण मैं आगे जरूर लिखूंगा.



हालांकि इस दौरान मैने ब्लॉगजगत में हो रही उठा-पटक को भी देखा, पंगेबाज की चिट्ठियां भी पढी, समीर जी की स्पेशल आमलेट भी खायी और इससे भी ज्यादा रचना जी की नारी शक्ति भी देखी.
नये नये लेखक भी देखे और यहाँ तक कि मेरे नामराशि वाला ब्लॉग भी देखा जो बिना इजाजत के चल रहा है।



अब आगे शुरूआत तो हो ही चुकी है, वापस अपने घर और ब्लॉगिंग के एक साल पूरे होने जो कबका हो चुका और आज मेरे जन्मदिन पर छोटी सी शुरूआत।

कमलेश मदान