रविवार, 4 मई 2008
भूखे,बेबस और लाचार भारत के लोगों को अच्छा खाने की आदत बढ रही है
कोंडेलिजा राइस- नाम से ही किसी भुखमरी का शिकार ये महिला आजकल भारत के लिये जितनी चिंतायें जता रहीं हैं और उनके सुर में सुर मिला रहे हैं बुश साहब! तो शायद पूरी दुनियां को यकीन हो न हो लेकिन हमारे प्रधानमंत्री और सोनियां जी और शायद उनके चाटुकार अधीनस्थों को तो ये यकीन हो चला है.
जिस देश में रोटी को बरगर और चावल किसी सूप की तरह बेकार के अस्वादिष्ट रूप में खाया जाता हो जिन्हें शायद मसालों,तेल आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी भी न हो वही देश अमेरिका जो अब भारत के लोगों के खाने में नजरें गढाये हुये है, लेकिन वो यह भूल गया है कि भारत में अभी भी शायद 50% घरों में दो वक्त का खाना मुश्किल से जुटता है.
वही इसके पहलू में अपने कांग्रेसी भी हाँ में हाँ मिला रहे हैं क्योंकि बढती महंगाई पर अकुंश नही लग रहा है तो वो लोगों का ध्यान इस ओर खींच रहे हैं कि भारत के लोग अच्छा खाना खाते हैं, लेकिन सच्चाई इसके ठीक उलट है.
अब सच्चाई का आंकड़ा शायद कुछ अटपटा है लेकिन इसमें एक राज जरूर छिपा हुआ है कि सरकार नाकाम है उन लोगों पर अंकुश लगाने पर जो खाने की वस्तुओं का भंडारण करते हैं,सरकार नाकाम है बेवजह कमोडिटी यानी ऑनलाइन अनाज और फ़सलों पर जुआ और दाम बढाने से रोकने के लिये, सरकार नाकाम है अमेरिका को सही जवाब देनें और चीन के समक्ष खुद के झुकने को रोकने से...
वो कैसे? आप सब अगर इस रिपोर्ट पर यकीन करें जो अभी-अभी प्रकाशित हुयी है तो मेरे ख्याल से इस देश में अनाज का कोई संकट नहीं है और शायद रिजर्व बैंक भी यही कह रही है कि इस साल रिकार्ड अनाज की पैदावार हुई है, अगर ये सच है तो शायद यां तो ये अनाज गैरकानूनी रूप से भंडारण किया हुआ है यां ये आंकड़ें झूठे हैं.
सच तो यह है कि कांग्रेस अपनी गलतियां और इतिहास फ़िर से दोहरा रही है, क्योंकि जब -जब कांग्रेस की सरकार बनी है तब महंगाई हमेशा बेकाबू रही है,इनका शासनकाल जमाखोरों का स्वर्णकाल रहा है और रहता है, ये एक सत्य है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता है.
अब अमेरिका से ये कहलवाना कि भारतीय अच्छा खाना खा रहे हैं तो शायद कम से कम मुझे तो यह मंजूर नहीं होगा कि लगभग आधे भारतीयों को दो वक्त की रोटी आसानी से नहीं मिल रही है,
हाँ इनकी रिपोर्ट मैं वहाँ पर जायज ठहराता हूँ जहाँ जायकेदार खाने के रेस्त्रां और मॉल हैं क्योंकि भारत का क्रीमी लेयर अब वहीं खाने का यां ये कहना कि मुँह मारने का आदी हो रहा है.
4 Response to "भूखे,बेबस और लाचार भारत के लोगों को अच्छा खाने की आदत बढ रही है"
अमेरिका को अपनी नाक नहीं घुसानी चहिये।
अन्न उत्पाद बढ़ाने और बेहतर वितरण जरूरी है।
ज्ञानदत्त जी से सहमत हूं. बुश एण्ड पार्टी की अब चला चली की बेला है और उनको कुछ भी सार्थक समझ आना बन्द हो गया है तो ऐसे ही अनर्गल प्रलाप करके समय काट रहे हैं. इस पर कान न धरें.
उनका बस चलता तो हमारे लिए डायट चार्ट भी बना देते
अब बुश को हुश करने की जरुरत है। :)
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