गुरुवार, 6 सितंबर 2007

हिन्दी ब्लॉगिंग का एतिहास का पार्टः2

Posted on 3:20:00 pm by kamlesh madaan

क्षमा करें शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय जी! क्योंकि मैने आपके ब्लॉग को पढ्ने के बाद ही इसे आगे बढानें का निर्णय लिया,क्योंकि आपके हास्य में जो सच छुपा हुआ था वो शायद हिन्दी ब्लॉगरों के लिये स्वर्णकाल साबित हो सकता है.भविष्य लेखन में जो आपने हमें सपना दिखाया है वो जरूर सच होगा क्योंकि हिन्दी विश्व भाषा बन जायें, ये हो सकता है

हिन्दी ब्लॉगिंग का एतिहास का पार्टः2



क्या आप
हिन्दी कोविश्वभाषा
बना सकते हैं?

मैं ये नहीं सोचता हूँ कि हिन्दी के उपर कोई ग्रन्थ लिखा जाये यां कोई पोथी लिखी जाये लेकिन आपके लेख से ये तस्वीर मन में उभर कर सामनें आयी कि अगर हम सब लोग समुचित और सामूहिक प्रयत्न करें तो हिन्दी क्या हर हिन्दुस्तानी दुनियां को अपने कदमों मे डाल लेगा.आज जब गूगल और अन्य देश हिन्दी प्रचार-प्रसार के लिये प्रयास कर रहे हैं और हमारे भारतीय बन्धु जो दूर रहकर भी हिन्दी को आत्मसात कर रहे हैं तो हमारा सिर गौरव से ऊँचा हो जाता है.



अब आगे की कडी.....समीरलाल जी से ही शुरू करते हैं- हमारे समीर जी उर्फ़ पवनदूत हनुमान जी आजकल अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी चिट्ठाकारी संघ के अध्यक्ष बने बैठे हैं. हिन्दी संघ में हमारे भारतीय राजदूत श्री "शास्त्री जी" भारत से कच्चे चिट्ठों की सप्लाई दनादन एक्स्पोर्ट कर रहे हैं जिससे भारत के लोगों को एक नया रोजगार मिल गया है हिन्दी सिखाने के लिये और सीखने के लिये बाकायदा वर्ल्ड बैंक ने एक कोष इनको दे रक्खा है,भई रवि जी ने हिन्दी में ऑपरेटिंग सिस्टम करने के बाद माइक्रोसॉफ़्ट और लीनिक्स को टेकओवर कर लिया है.यहाँ तक कि हिन्दी के अलावा दो हजार से ऊपर भारतीय भाषायें शामिल कर ली गयीं है. अन्ग्रेजी को अब लोग 'कौतहूल' की द्रष्टि से देखते हैं, और इसके बंधुआ भारतीयों की आजादी की कहानियाँ पढते हैं.
नये नये हिन्दी कॉलसेन्टर विदेशों में खुल चुके हैं क्योंकि हिन्दी की अनिवार्यता हर देश में एकसमान रूप से लागू है.

अब आगे शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय जी इसे लिखेंगें........

10 Response to "हिन्दी ब्लॉगिंग का एतिहास का पार्टः2"

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ePandit Says....

लेकिन विडंबना है कि अब भी हिन्दी चिट्ठाकार वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन का बोर्ड अंग्रेजी में है।

और हाँ रवि जी माइक्रोसॉफ्ट को तो ओवरटेक कर सकते हैं लेकिन लिनक्स को नहीं। :)

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ePandit Says....

शीर्षक में पार्ट-2 लिखा है, पार्ट-1 कहाँ है?

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kamlesh madaan Says....

बन्धु ये पोस्ट आज ही अवतरित हुई है सुबह
हिंदी ब्लागिंग का इतिहास (साल २००७)- भाग १
http://shiv-gyan.blogspot.com/2007/09/blog-post_06.html

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Sanjay Tiwari Says....

श्रीश की बात सही है. बोर्ड की लिपि?

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Udan Tashtari Says....

हिन्दी वाला बोर्ड पेन्ट होने भारत गया है..कनाडा में जितना बन पाया उतना करवा दिया..तब भी चैन नहीं..बच्चे की जान लोगे क्या??

नया बोर्ड हिन्दी में बन कर आ जायेगा तब खबर कर देंगे.

यहाँ बोलने मिल रहा है तो सब बोल रहे हैं और जब विश्व हिन्दी सम्मेलन के सर्टिफिकेट अंग्रजी में बटे तब कहाँ थे??? :)

मजाक कर रहे हैं भाई..बने रहो..अब जिसने अंग्रजी में बोर्ड फिट किया है वो ही हिन्दी और फ्रेंच में भी बनायेगा. :)

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Rachna Singh Says....

hindi chinii bhai bhai ho saktae hae toh hindi english bhai behan kyo nahin ho saktae sadbhavana ka zamana hee nahin raha

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उन्मुक्त Says....

मैं तो यही समझता था कि बोर्ड भारत में पेन्ट हुआ है इसलिये अंग्रेजी में है। यहां तो हिन्दी भी अंग्रेजी में बोली जाती है।

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Shastri JC Philip Says....

प्रिय कमलेश मेरे छोटे भाई,

इस चिट्ठे पर जो "आवरण" है वह पठनीयता को कम कर रहा है. कृपया एक ऐसा अवरण ढूढो जो पढने में दिक्कत नहीं देता है.

लेख बहुत अच्छा है, लेकिन कई महत्वपूर्ण नाम छूट गये है. भाग तीन लिख कर यह मामला भी सही कर दो तो अच्छा है



-- शास्त्री जे सी फिलिप



प्रोत्साहन की जरूरत हरेक् को होती है. ऐसा कोई आभूषण
नहीं है जिसे चमकाने पर शोभा न बढे. चिट्ठाकार भी
ऐसे ही है. आपका एक वाक्य, एक टिप्पणी, एक छोटा
सा प्रोत्साहन, उसके चिट्ठाजीवन की एक बहुत बडी कडी
बन सकती है.

आप ने आज कम से कम दस हिन्दी चिट्ठाकरों को
प्रोत्साहित किया क्या ? यदि नहीं तो क्यो नहीं ??

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बेनामी Says....

हिन्‍दी
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आपके लिए उपयोगी लिंक्‍स, महत्‍वपूर्ण सूचनाएं.