बुधवार, 20 फ़रवरी 2008
क्या मेरे इस सुझाव पर ब्लॉगवाणी,नारद और चिट्ठाजगत ध्यान देंगें...
आज भड़ास पर प्रकाशित लेख तब ब्लागवाणी पर बाकी ब्लागों का क्या होगा? पढकर थोड़ी चिंता तो हुई लेकिन बिना विकल्प खोजने से पहले उनका निराशावादी होना अटपटा सा लगा!
पहले-पहल यशवंत जी को धन्यवाद जो उन्होने इस समस्या को उठाया और दूसरे भाई संजय जी को भी धन्यवाद जिन्होने इस व्यापक समस्या को गति प्रदान की लेकिन अब मैं यह कहना चाहूँगा कि केवल अपनी वेबसाईट बनाने से और खुद को किसी एग्रीग्रेटर से प्रथक कर लेनें से किसी भी ब्लॉग का भला नहीं होना.
अगर गूगल में सर्च करे और आपका ब्लॉग पहले दिखायी देता है..यदि गूगल से सर्च के बाद ब्लॉग का नाम दिखायी न दे तब?
इस सवाल का जवाब खुद ब खुद सामने है कि इन शीर्ष ब्लॉग एग्रीग्रेटरों ने सभी लोगों और क्म्यूनिटीज ब्लॉग्स को एक स्थायी मंच प्रदान किया है जो एक सराहनीय कदम है.
मैं समझता हूं कि किसी एग्रीग्रेटर ने अभी तक पैसे के लिये काम नहीं किया है और शायद पैसा उनकी प्राथमिकता नहीं है वो तो बस एक पथ-प्रदर्शक के रूप में अपना काम किये जा रहे हैं.
और रही बात अपडेट और जगह की तो इसका सीधा सरल उपाय है नीचे
>>मरकी<< जी हाँ मरकी ही है इस का विकल्प और सबसे बढिया उपाय जो कम जगह में ज्यादा काम करता है, इसके लगने से ऐसा लगेगा जैसे कोई न्यूज अपडेट हो रही हो और किसी भी चिट्ठे पर क्लिक करते ही चिट्ठा खुल जाये!
है न सबसे आसान काम!
3 Response to "क्या मेरे इस सुझाव पर ब्लॉगवाणी,नारद और चिट्ठाजगत ध्यान देंगें..."
बिल्कुल। अपने ब्लॉगरोल के लिये कम स्पेस में ढ़ेरो ब्लॉग डालने को मैने इसी का प्रयोग किया है।
मरकी बोले तो ....
मेरे लिहाज से कम्युनिटी ब्लागरों के लिए यह सबसे अच्छा उपाय होगा. इसमें एक बात और जोड़ देनी चाहिए कि उन्हें अलग से डिस्प्ले किया जाए और वहां यह मरकी लगातार नयी पोस्ट की जानकारी भी देता रहे.
बहुत अच्छा सुझाव.
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