सोमवार, 11 जून 2007
हिन्दी अमर रहे !
आज जब हिन्दी ब्लाँग देखता हूं तो लगता है कि शायद हिन्दी लेखन का स्वर्णिम युग लौट रहा है। हिन्दी को उच्चतम स्तर पर ले जाना ही आज हिन्दी ब्लाँगरों का मुख्य ध्येय है, लेकिन बढते समयाभाव, दिशाहीनता, प्रचार-प्रसार की कमीं ने हिन्दी ब्लाँगिगं को एक दायरे में सीमित कर दिया है।
अक्षरग्राम,हिन्दी ब्लाँग्स,वर्डप्रेस,तरकश,देसीब्लाँग्स,आईबीबो,चक्रारेडियो,कल्पना,भाषा इन्डिया,ब्लाँगस्पाट,सारथी जैसे वेबयंत्रों की मदद से हम अपनी हिन्दी लेखन की भूख कुछ हद तक कम तो कर सकते हैं लेकिन यह एक पर्याप्त आधार नहीं है।
हमें इसके लिये सयुंक्त रूप से एक ही मंच पर आना होगा। हमारा ध्येय अपने ब्लाग की वाह-वाही से ज्यादा हिन्दी लेखन कला को विश्व मंच पर उच्चतम् स्तर पर पहुँचाना है। ये ही एक ऐसा समय है जिसमें हम अपनी पहचान से ज्यादा हिन्दी को विश्व की एक धरोहर बना सकतें हैं।
यानी कहनें का तात्पर्य यह है कि आज सभी वेबपोर्टलों को समान रूप से एक ही मंच पर आना होगा जिससे इस मंच को राष्ट्रीय्-अंराष्ट्रीय पहचान और सराहना मिलेगी और पूरा विश्व इससे प्रभावित हुये बिना नहीं रह सकेगा। पूरा विश्व अगर आश्चर्यचकित् न हो जाये तो कहना ! अगर वो हिन्दी भाषा का मुरीद ना बन जाये तो कहना ! जिस अन्ग्रेजी भाषा के दम पर पूरा विश्व ऊँची-ऊँची उडानें भरता है वो हिन्दी के आकाश को छू भी नहीं सकेगा। क्योंकि हिन्दी के अथाह सागर में लेखन के अविरल तत्व,अदभुत् ग्यान,हमारा हिन्दु लेखन इतिहास का वो अकूत् भंडार है जिसके आगे विश्व की सारी भाषाऐं एक चम्मच भर हैं इसीलिये आज हम सबको अपने हिन्दी प्रेम को क्षितिज पर ले जाना होगा जिससे हमारी संस्क्रति को एक अलग पह्चान मिलेगी और हमारी भाषा अमर रहेगी।
जय हिन्दी ! हिन्दी अमर रहे !
4 Response to "हिन्दी अमर रहे !"
आमीन!
जी ऐसा मंच मौजूद है और उसका नाम अक्षरग्राम नैटवर्क है। हिन्दी संबंधी कई साइटें और सेवाएं इसमें शामिल हैं। इससे जुडे़ सब लोग सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर हिन्दी के प्रचार प्रसार हेतु हर संभव प्रयत्न कर रहे हैं।
आप किस तरह का मंच चाहते हैं? आपके पास कोई सुझाव हों तो कृपया बताइए।
आपकी पवित्र भावनाओं की जय हो!
हिन्दी जगत में आपका स्वागत है! इसी तरह उन्मुक्त भाव से अपने विचार व्यकत करते रहिये।
जय हिन्दी ! हिन्दी अमर रहे !
--वैसे अपनी बात को थोड़ा और विस्तार दें ताकि यह समझ में आये कि आप के मन में किस तरह की योजना है हिन्दी को विस्तार देने के लिये.
एक टिप्पणी भेजें