गुरुवार, 5 जुलाई 2007

जहाँपनाह ये क्या हो रहा है?

Posted on 4:58:00 pm by kamlesh madaan

मुगल सम्राट शाहजहाँ(असली नाम "खुर्रम") ने इमरजेंसी मीटिंग बुलायी है। शहर के सभी गणमान्य लोग उपस्थित हैं और मीटिंग का विषय है "ताज पर 'एस एम एस' कैसे करें?

एक दरबारी बोला "जहाँपनाह् आज पूरा विश्व आपके पीछे पडा हुआ है,मालूम होता है जैसे शायद कोई गुनाह किया है आपने!
दूसरा तपाक से बोला "लेकिन जहाँपनाह चिन्ता का विषय यह है कि पहले तो उन्होने ताजमहल पर 'टिकट' लगाया हमने कुछ नहीं किया फ़िर इस पर और गुस्ताखी विश्व की बेमेल इमारतों की तुलना ताज से करने लगे,और फ़िर अब हमें इन इमारतों की बेमतलब की प्रतियोगिता में हमारे ताज को बचाने के लिये एस.एम.एस. नाम का चिठ्ठा एक विधुत चालित यंत्र से करना पडेगा
जहाँपनाह आप ही बतायें इन गुस्ताखों को कौन समझाये कि आज हमारा सारा खजाना ताज को बनानें में लग चुका है, तिस पर यह कि हमे बेगम मुमताज और आपकी नौं बेगमों के लिये खर्चा-पानी का जुगाड भी नहीं लग पा रहा है. अब आप ही बतायें कि बैठे-बिठाये ये इन गुस्ताख लोगों ने हमारे लिये कितनी बडी मुसीबत पैदा कर दी है
अचानक एक अनुभवी किन्तु चिंतित बुजुर्ग ने खाँसकर पहले तो अपना गला साफ़ किया और पान की पीक को पानदान में डालते हुये कहा "हुजूरे-आलम पूरा हिन्दोस्तान इस प्रचार में लगा हुआ है,मेरी जानकारी के अनुसार इस प्रतियोगिता के लिये एस्।एम्.एस्. से लाखों-करोडों का वारा-न्यारा होगा इनके आयोजकों को, और रायल्टी में हमें एक फ़ूटी कौडी नहीं मिलेगी. क्या ये ठीक है? अब लगता है अब समय आ गया है कि देश के "मानवाधिकार" आयोग में याचिका दायर कर दी जाये जिससे आप को पोप्युलैरिटी तो मिलेगी ही अखबार और न्यूज चैनल वालों को ब्रेकिंग न्यूज मिलेगी ही साथ ही साथ उनकी टी.आर.पी भी बढेगी जिससे लगातार इस देश के मीडिया वाले छा जायेंगे,एक साथ कई कम्पनियों का मुनाफ़ा होगा और आप भी हमेशा हाईलाइट हो जायेंगे(बिग बी काफ़ी बोरिंग हो चुके हैं)
सभी दरबारी समवेत स्वर में बोले "हाँ हाँ ये ठीक है"
और अन्त में सम्राट शाहजहाँ खडे होकर रुआँसे स्वर में बोले "मेरे प्यारे दरबारियों मैं समझ सकता हूँ आप की व्यथा लेकिन मैं मजबूर हूँ क्योकि जिस कम्पनी ने यह प्रतियोगिता करवायी है उन्होने मुझे "लिस्बन मे 07.07.07 को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। और वहाँ ना पहुँचने पर काँन्ट्रेक्ट के अनुसार मुझको मेरी जायदाद से बेद्खल करके किसी ट्रस्ट को रखरखाव को दे दी जायेगी जिससे हमें फ़िर जमिंदोज होना पडेगा। वहाँ तक पहुँचने की जुगाड तक लग नही पा रही है,कैसे हम और हमारी द्स बेगमें "लिस्बन" पहुँचेंगे इसलिये मेरे प्यारे दरबारियों इस विषय को यहीं खतम करना उचित होगा और नये सिरे से सोचना होगा कि वहाँ तक जाने की जुगाड कैसे हो? नही तो ये जालिम दुनियाँवाले हमें कोर्ट का सम्मन भेजकर हमें चैन से अपनी कब्रों में सोने नहीं देंगे।
और इसी चिन्ता के विषय को लेकर सभा अगले दिन के लिये स्थगित् कर दी गयी

3 Response to "जहाँपनाह ये क्या हो रहा है?"

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Sanjay Tiwari Says....

जहांपनाह, टिप्पड़ी की कड़ी देने के लिए शुक्रिया.