शनिवार, 27 अक्तूबर 2007

तस्वीरें जो बोलती हैं!

Posted on 4:53:00 am by kamlesh madaan

आज मैं भारत की कुछ तस्वीरें पोस्ट कर रहा हूँ लेकिन इन तस्वीरों में जो भारत मुझे दिखायी दिया है उसने मुझे काफ़ी हद तक दुख भी दिया है और कुछ सुखद अनुभूति भी दी है.

इन तस्वीरों को देश के जाने-माने छायाकारों(फ़ोटोग्राफ़रों) ने खींचा है जिसका मुझे कोई क्रेडिट नही चाहिये बस! आप लोग देख सकें ये ही बड़ी बात है।

मैं तो चाह रहा था कि हर चित्र के उपर एक ब्लॉग लिख डालूं लेकिन इससे इन चित्रों की आत्मा ही मर जाती जो इनके बिना कुछ कहे ही दिखायी देती है कि असली भारत में क्या कुछ नहीं है.

और हाँ इन तस्वीरों के शीर्षक इनके असली शीर्षक हैं जो एक अलग ही अहसास लिये हुये हैं आइये देखें........
















Welcome in india (वेलकम इन इन्डिया)- भारत में आपका स्वागत है|














Good morning mumbai (गुडमॉर्निंग मुम्बई) - सुप्रभात मुम्बई!





















Waking up!(वेकिंग अप)- जागना















Morning Brush(मोरनिंग ब्रश) - सुबह का मंजन


















Monalisa smile! (मोनालिसा स्माइल) - मोनालिसा जैसी मुस्कान














Hope(होप)- आशाऐं















Waiting For My Turn(वेटिंग फ़ॉर माई टर्न)- अपने इंतजार में
















Where we are?(व्हेअर वी आर?)- हम कहाँ हैं?



















Bat'tle Warrier(बैटल वॉरियर) - युध्द के मैदान का लड़ाका



















She(शी)- वह















The Fun(द फ़न)- मस्ती,शरारत

















Two Widow's(टू विडो) - दो विधवाऐं
















The Ice candy(द आइस कैंडी)- बर्फ़ का गोला,आइसक्रीम















The Friends(द फ़्रेंड) - मित्र















Memories(मेमोरीस) - यादें










Dying Earth(डाइंग अर्थ) - मरती जमीन



















Who cares?(हू केअर्स?)- परवाह किसे?















Waiting Line(वेटिंग लाइन)- इंतजार की कतार

















The Busy(द बिजी)- व्यस्त

8 Response to "तस्वीरें जो बोलती हैं!"

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ALOK PURANIK Says....

सच्ची का इंडिया है जी। ये तो बड़ा धांसू च फांसू कलेक्शन है।
यार, ये बैकग्राऊंड का कलर नेताओं के दिल का सा क्यों कर रखा है,कलर भौत सारे हैं। उगते आसमान का नीलापन है, नेता के कुरते की सफेदी है। मतलब यह सलाह भर है, बाकी सीरियसली ना लेना, क्योंकि मैं खुद भी अपने को सीरियसली नहीं लेता।

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Shastri JC Philip Says....

चित्रों को बहुत सोचसमझ कर चुना गया है. इनके द्वारा "असली" हिन्दुस्तान की छवि अच्छी तरह दिखती है.

लोगों को लगता है कि हिन्दुस्तान के सुपरमार्केट हिन्दुस्तान का असली चित्र दिखाते है. लेकिन असली चित्र देखने के लिये जरूरी है कि आम आदमी को देखा जाये -- जो इन चित्रों में साफ साफ दिखता है. बंदर को भी मैं इसमें शामिल कर रहा हुं. जंतुओं के बिन देश कैसा -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है