गुरुवार, 28 फ़रवरी 2008
फ़रवरी माह के नये सितारे (एक अवलोकन)
एक बार फ़िर से चिट्ठा अवलोकन का समय आ चुका है क्योंकि फ़रवरी माह का अंतिम दिन कल है लेकिन समय की कमी के कारण इसे एक दिन पहले ही प्रकाशित करने की मजबूरी है, पिछली चिट्ठा अवलोकन जो मेरे ब्लॉगर मित्रों की पोस्ट और शायद उसका अनुचित कारण ये भी हो सकता है..... के नाम से प्रकाशित हुई थी उनमें कुछ नाम और चिट्ठों की चर्चा की कमीं रह गयी थी आशा करता हूं कि इस बार ये कमी भी पूरी हो जाये लेकिन बढते चिट्ठाकारों और पोस्टों की संख्या के कारण मुख्य चिट्ठे ही शामिल हो पायेंगे! आप सभी लोगों से क्षमा चाहता हूँ
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पहली पोस्ट एक जन्मदिन के रूप में मिली को वाह मनी ब्लॉग की थी कमल जी को शुभकामनाओं के साथ बने रहने के लिये धन्यवाद क्योंकि मैं समझता हूँ कि उनके पाठक दिन दूनी रात चौगुनी रफ़्तार से बढ रहे हैं, आगे रवि रतलामी जी जिनकी चर्चा मैं कभी भी नहीं कर सका लेकिन वो हम सब के आदर्श और पथ-प्रदर्शक भी हैं उन्होने भी चिट्ठाकारों के लिये 13 यक्ष प्रश्न.... पूछ कर सबको हैरत और एक अच्छा रास्ता दिया आगे बढने का.
यूं तो फ़रवरी माह काफ़ी उतार चढाव वाला था लेकिन यह महीना बेटियों और चोखेरबालियों के लिये भी जाना जायेगा जिन्होने अपने बेटी और महिला यां औरत होने के अहसास को जगाये रखा, हालांकि भड़ास में भी काफ़ी उथल-पुथल भी मची इस बात को लेकर कि यशवंत जी ने चोखेर बाली में प्रवेश किया लेकिन उनका आना जाने के बराबर रहा और इस अप्रत्याशित कदम के कारण ब्लॉगजगत में काफ़ी हो-हल्ला भी मचा.
नीलिमा जी जहाँ अपनी फ़ेमेनिज्म से बाहर नहीं निकल पा रहीं थी और उनकी गोल रोटियां चुगली कर रहीं थीं वहीं दूसरी ओर निशा जी हमें नये-नये पकवान बनाना सिखा रहीं थीं.
अभी दो ही दिन गुजरे थे कि समीर जी अचानक से अपनी उड़नतश्तरी में प्रकट हुये और अपने लोटे के गायब होने की सूचना दर्ज करायी तो दूसरी ओर पंगेबाज भाई जो एकदम से सीरियस होकर पंगेबाजी कर रहे थे उनको शायद अपने बचपन का कोई कीड़ा मिल गया था जो वो अपने सभी ब्लॉगर बंधुओं को दिखा-दिखाकर खुश हो रहे थे(यानी कि अपने बचपन में खो गये थे),भाई कीर्तीश जो अपने कार्टून्स के द्वारा काफ़ी पैनापन लिये रहे चाहे वो नैनो हो यां किडनी कांड सबके लिये वो चहेते बने रहे,तो वहीं दूसरी ओर आलोक पुराणिक जी अपने छात्रों के निबन्ध टीप-टीप कर टॉप पर बने रहे! कमाल का बैलेंस है भिड़ू
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हालांकि 23 जनवरी को ही बेटियों के ब्लॉग की नीवं पड़ गयी थी लेकिन फ़रवरी आने तक इसका स्वरूप और काफ़ी विस्तार हो चुका था अविनाश जी ने एक साहसिक और बेटियों को समर्पित ब्लॉग बनाया जो चर्चा का विषय भी बना और एक बाप-बेटी की हसरतों और उनके संवादों का आइना भी बना, वहीं 4 फ़रवरी को जनवरी की महिलाओं के ऊपर कटाक्ष और वाद-विवाद ने चोखेर बाली नामक ब्लॉग को जन्म दिया जो नारी शक्ति और एक मिसाल का सूचक बनता जा रहा है धन्यवाद बेटियों! धन्यवाद चोखेरबालियों
फ़िर मोहल्ले में चलना होगा क्योंकि दीप्ति दुबे जी बोल रही हैं इस बार जो दलित और सवर्णो की चिंगारी इस पोस्ट में उठी थी उसे दिलीप मंडल जी ने अपने आंकड़ों और वाद-विवाद ने शोला बनाकर रख दिया, हालाकि ये विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा तो वहीं दूसरी ओर भड़ास में भी आपसी मतभेद की छिटपुट घटनायें हुयीं कुछ लोगों ने अपने ही साथियों को भड़ास के स्तर गिराने और चोला बदलने के विवाद को उठाया लेकिन भड़ास! भड़ास है फ़िर से एक नया हिट फ़ार्मूला लेकर आया वो भी आधासच के जरिये (आधासच एक स्पेशल ब्लॉग है जिसे हाइनेस मनीषा और उनकी अन्य साथी संचालित करती हैं )
लेकिन मोहल्ला और भड़ास में एक ही कमी दिखी वो है किसी एक पोस्ट के ज्यादा देर तक टिके रहने की इस बात को लेकर यशवंत जी और संजय जी ने भी पोस्ट लिखी और मैने भी एक समाधान भी दिया था! अब देखें आगे क्या इस पर अमल होता है यां नहीं ये तो वक्त बतायेगा.
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अब कुछ नये और कुछ सक्रिय चेहरों की जिन्हे हम जानते है और नहीं भी
शुरूआत अजदक वाले प्रमोद जी से करते है इस बार की उनकी सक्रियता और चुहलबाजियां लोगों ने चटखारे ले-लेकर पढीं तो वहीं दूसरी ओर हमारे बीच एक वरिष्ठ और उम्दा कहानीकार सूरजप्रकाश जी भी आये जिनकी कहानियों ने ब्लॉगजगत में एक कमी को पूरा सा कर दिया है आशा करते है वो इसी तरह अपने लेखन को आगे बढायेंगे,
रविश कुमार जी के कस्बे का चित्रण इस बार अच्छा लगा तो वहीं दूसरी ओर अविनाश जी की दिल्ली दरभंगा की छोटी लाइन भी देखने को मिली,कहीं किसानों के लिये हमारे पंकज अवधिया जी जुटे रहे हैं तो कहीं दूसरी ओर सेलगुरू नये-नये मोबाइल फ़ोन दिखा-दिखा कर हम सबका दिमाग खराब कर रहे हैं.
चलो इस बार मैथिली जी के जिन्दगी-लाइफ़ की टक्कर में हमने भी अपना स्टाइल ब्लॉग मैदान में उतार दिया है(वैसे मैथिली जी के मैं कहीं आगे-पीछे भी नहीं टिकता हूँ)
इस बार खराशें में अपनी मनमोहक मुस्कान लिये सुरजीत दिखायी दिये तो दूसरी ओर जीतू जी भी हर तरफ़ से कमाई के चक्कर में लगे रहे क्यों न लगें आखिर एडसैंस वालों ने नया मकान गिफ़्ट जो दिया है(माफ़ कीजियेगा मजाक कर रहा हूँ वरना जीतू जी मुझे मारने(मिलने) दौड़े चले आयेंगे और फ़िर बतायेंगे कि उनके चिट्ठे पर एडसैंस का क्या हो रहा है?)
खैर ममता जी ने भी डबल जश्न मनाया एक तो ब्लॉग की सालगिरह का और दूसरा दो सौ वें चिट्ठे की पोस्टिंग का! बधाई....
यमराज जी भी अचानक प्रकट हुये तो कॉपीराइट को लेकर हमारे तीसरे खंबे वाले दिनेशराय द्विवेदी जी भी डराते रहे
हमारे ज्ञान दद्दा जी ने चुपके-चुपके इस बार के रेल बजट में अपना ट्रांसफ़र यानी कि विभाग की अदला-बदली करके ब्लॉगजगत को ज्ञान बिड़ी की सप्लाई में कटौती करने का एलान किया है ,देखते हैं कब तक चलेंगें
जाते-जाते.......
एक बात और कहना चाहूँगा कि यह माह भी महिला चिट्ठाकारों और बेटियों,महिलाओं और चोखेरबालियों के नाम रहा लगभग हर बीस में से आठ-नौ औसतन महिला चिट्ठे यां उनसे जुड़ी खबरों,वाद-विवाद का अनुपात रहा जो ब्लॉगजगत में महिलाओं की बढती हिस्सेदारी को प्रबल करता है.
कमलेश मदान
4 Response to "फ़रवरी माह के नये सितारे (एक अवलोकन)"
कमलेश जी आप ने सच कहा ये महीना तो महिलाओं के नाम है, पर क्या वहीं महिलाएं जिनकी आवाज बुलंद है। सच है नगाड़े के आगे तूती कहां सुनाई देने वाली है। खैर इंतजार रहेगा
साधो का इतना सधा हुआ चिंतन
किया जा सकता है जिस पर मनन
मनन ही मनन खनन ही खनन
लगे रहो जुटे रहो मदान दनादन
चिटठा अवलोकन तो बड़ी मेहनत से किया गया है। और इसके लिए आप बधाई के पात्र है।
आप तो बहुत बारीकी से पढ़ते हैं ब्लॉग पोस्टों को। निहायत जागरूक ब्लॉगर हैं।
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