बुधवार, 15 अगस्त 2007
वाह दिमाग हो तो ऐसा
कल पूरे विश्व में एक ही चर्चा थी कि नोकिया जो मोबाईल फ़ोन निर्माता कम्पनी है उसके फ़ोन्स में बैटरी की दिक्कत आ रही है तो यह शायद बहुत से लोगों को उसका आपातकालीन फ़ैसला अच्छा लगा और कुछ लोगों को उसकी मर्केटिंग रणनीति. अभी ये सब चल ही रहा है कि अमेरिका की खिलौना कम्पनी मटैल ने (यहाँ पढें) अपने सारे खिलौने पूरे विश्व से वापस करने की गुहार की है. अविश्वस्नीय! लेकिन मुझे इसमें एक सोची-समझी राजनीति नजर आ रही है जिसमे अमेरिका का शातिर दिमाग है. कैसे आईये विस्तार में चलते है.
काफ़ी दिनों से इस विषय पर लिखना चाहता था पर लगता है वक्त आ गया है कि फ़िर से इस बात को उठाया जये कि किस तरह अमेरिका चिंतित और घबरा गया है एशिया के बढते कदमों से ( इस बात को साबित मैं नहीं ये लेख कर रहें है यहाँ और यहाँ देंखें जिसमें चीन की तेज होती अर्थव्यवस्था और विश्व में धाक जिससे अमेरिका का चिंतित होना स्वभाविक है क्योंकि वो नही चाहता है कि उसके एकाधिकार में खलल पडे ) अमेरिका की नीदं हराम हो गयी है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से वो खुद शेयर बाजार में आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है जिससे उसे पूरे विश्व में जलालत उठानी पड् रही है।
इस कदम से अमेरिका विश्व भर में अपने आपको ग्राहक के प्रति जागरूक दिखाना चाहता है जिससे एशिया के विकास और अर्थव्यवस्था को गहरी चोट लग सके और फ़िर से उसका एकछत्र साम्राज्य स्थापित हो जाये.
कभी माइक्रोसॉफ़्ट को लीनिक्स और ओरेकल से डर लगता है, कभी वो खुद एशिया की वस्तुओं(चावल,योगा,औषधियों आदि) को अपने नाम से पेटेंट करवाने लगता है. ये सब क्या है?
क्या हम लोगों को कुछ भी दिखायी नहीं देता? यां हम लोग अपने-अपने देश की तरक्की के लिये अंकल सैम यानी अमेरिका के आगे भिखारियों की तरह झोली फ़ैलाये खडे रहेंगे?आज अगर हम लोग नहीं चेते तो शायद ऐसा वक्त आ जाये कि पूरा विश्व अमेरका के कदमों मे होगा जो शायद उसका सपना है.
खुद को अपनी ही गुलामी वाली छवि से बाहर निकालकर और स्वावलम्बी होकर हम अपने देशों को मजबूत कर सकते हैं.
4 Response to "वाह दिमाग हो तो ऐसा"
सही कहा आपने !
सही विचार, कमलेश भाई.
कमलेश भाई, सोचने लायक बात उवाच रहे हो।
बिल्कुल सही कह रहे हैं, आप।
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