रविवार, 26 अगस्त 2007
भगदड़् का पहला शिकार
Posted on 5:36:00 pm by kamlesh madaan
अभी मैने ठीक से पाँव पसारे ही नहीं थे कि मुझे अपने भगदड़् वाले अंदाज मे लिखने को बाध्य होना पडा. क्योंकि हमें एक मुद्दा मिल गया था और हम उसका श्रीगणेश करना चाहते थे सो हमने भी तपाक से ढंढोरची जी की पोस्ट को लपक लिया और फ़ेंक दिया भगदड़् में अब आगे क्या होगा पता नहीं!
तो आईये सीधे चलते है लाइव टेलीकास्ट में
यहाँ नीचे लिंक दिया हुआ है
http://bhagdar.blogspot.com/2007/08/blog-post_5530.html
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6 Response to "भगदड़् का पहला शिकार"
अपनी त्यागमूर्ति सोनिया के बारे में इस लेख को भी पढ़ें
http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2007/08/know-your-sonia-gandhi-part-3.html
सुनो भाई साधो.... मिनमिनने वाले को कया कहो गे,शेर ??
घर का सतनाश करने वाले को पुत नही कहा जाता
1. दिनेशशुक्ल जी ये पोस्ट सोनिया जी नही हमारे प्रधानमन्त्री डॉ मनमोहन जी के लिये लिखी गयी है ठीक से पढें
धन्यवाद!
2. बेनामी जी आप इतना मिनमिना रहे हैं तो सुनिये
'मेरे आंगन में तुम क्या रंगे गुलाल खेलोगे
हम खुद ही लहू बहाकर बैठे हैं'
अगर नाम से टिप्पणी लिखें तो आप की हिम्मत पता चलेगी
धन्यवाद
जहाँ तक मैने अपनी छोटी -सी बुद्दि से जाना है कि मनमोहन सिहँ एक बहुत काबिल इन्सान हैं ।क्यूँकि वे एक राज नेता ही नही, बहुत पढे लिखे इन्सान भी हैं।अगर वे अपनी बुद्दि से देश को चलाए तो देश के प्रति उनका बहुत उपकार होगा...लेकिन सब जानते हैं कि राज कौन चला रहा है?...लेकिन जिन्हे आप त्यागी बता रहे हैं....जिनमे आपको त्याग नजर आ रहा है कही...आप जानते हैं त्याग क्या होता है?...अगर उन्हें त्याग ही करना होता तो वह भी मदर टरैसा जी की तरह समाज की सेवा मे लग जाती....।..आप का विरोध करने का हक है लेकिन ...मै स्पष्ट करना चाहूँगा कि उस पोस्ट का लिकं मैने अपने चिट्ठे पर इस लिए दिया है कि मै मानता हूँ कि वह गीत...शायद सिखों की बहादुरी को ब्यान करने के लिए लिखा है....अगर मै गलत नही तो शायद कवि देश को मनमोहन सिहँ जी अपने ढंग से चलाए यह कहना चाह रहा है...क्यूँकि उनकी काबलियत पर किसी को शक नही ही होगा..
बाली जी की बात मे एक बात मै जोड़ देता हूँ..वैसे सभी जानते हैं जिन के त्याग की आप पैरवी कर रहे हैं...वे सभी त्यागि हैं उन्हें कभी सत्ता का मोह नही रहा..:(
तीन दिन के अवकाश (विवाह की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में) एवं कम्प्यूटर पर वायरस के अटैक के कारण टिप्पणी नहीं कर पाने का क्षमापार्थी हूँ. मगर आपको पढ़ रहा हूँ. अच्छा लग रहा है.
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