गुरुवार, 2 अगस्त 2007

वो बेचारा!

Posted on 12:44:00 pm by kamlesh madaan

अभी कुछ ही दिन की तो बात है वो बाबा कल उस पेड् के नीचे बैठा था. भूख से बेहाल,कफ़ी देर से दर्द से क्रहने के बाद वहीं लेट गया. आस-पास के लोगों ने देखा तो किसी ने कुछ न कुछ खाने को दिया.

धीरे-धीरे वो बाबा इस मोहल्ले का एक अभिन्न अंग बन चुका था. लोग उसे कोई पीर-फ़कीर मानने लगे थे. कोई अपने घर की दशा सुधारने के लिये बाबा के पैर छूकर अपने आपको धन्य समझता था तो कोई बाबा को खाना खिलाकर.

बाबा भी बडे मस्त! किसी ने कुछ भी कहा तो कोई बात नहीं, किसी ने कुछ भी दिया खा लिया, कोई फ़िक्र नहीं. धीरे-धीरे अपनी पैठ बाने लगे थे बाबा. लोगों ने चन्दा एकत्रित करके एक मन्दिर भी बनवा दिया. धीरे-धीरे मन्दिर रूपी दुकान भी चलने लगी.

लेकिन कुछ ही दिनों की बात थी मोहल्ले से एक 17 साल की लडकी (जो अनाथ थी) अचानक गायब हो गयी थी. हर जगह चर्चा होने लगी, किसी ने कहा कि आखिरी बार उसे बाबा के यहाँ देखा गया था. बस! फ़िर क्या था. लोगों ने बाबा को पकड्कर इतना मारा कि उस बेचारे की मौत हो गयी. सारा मोहल्ले का गुस्सा अब जाकर शान्त हुआ था.

अचानक वही लडकी कहीं से प्रकट हुयी और चिल्लाकर बोली "आप लोगों ने इसे क्यों मारा? जानते थे ये मेरे क्या थे और कम से कम उन से पूछ तो लेते कि वो कौन थे?

वो मेरे पिताजी थे जिसको आप सब लोगों ने मार दिया. आप लोगों ने मुझे फ़िर से अनाथ कर दिया."

सभी लोग निरूत्तर थे,धीरे-धीरे भीड् छंटने लगी थी और.....
लाश को कुत्ते नोचने के लिये तैयार खडे थे........

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